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Thursday 13 April 2017

‘लेनरो’ वो जगह जहां पर पुरानी किताब दें और बदले में लें दूसरी किताब

अगर आप किताब पढ़ने के शौकिन हैं और धीरे धीरे आपके पास किताबों का ढेर लग जाये तो आप क्या करेंगे। शायद आप उन किताबों को बुक शेल्फ या किसी बॉक्स में संभाल कर रख देंगे। लेकिन अगर आपको एक ऐसा प्लेटफॉर्म मिल जाये जहां पर आप अपनी पढ़ी हुई किताब ऐसे किसी व्यक्ति को दें जिसने वो किताब ना पढ़ी हो और वो व्यक्ति आपको ऐसी किताब दे जो आप पढ़ना चाहे तो कैसा हो। इससे ना सिर्फ एक दूसरे को मुफ्त में अच्छी किताब पढ़ने को मिलेगी बल्कि आपका अपना सामाजिक दायरा भी बढ़ेगा। कुछ ऐसी ही कोशिश की है दिल्ली में रहने वाले सौरव हुड्डा ने। जिन्होने ‘लेनरो’ नाम से एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार किया है जहां पर एक लाख से भी ज्यादा किताबें पढ़ने को मिल जाएंगी।


सौरव शुरूआत से ही अपना कुछ करना चाहते थे, जब उन्हें इस प्लेटफार्म का आइडिया आया तब उन्होंने ‘इंफोसिस’ से इस्तीफा देकर अगस्त,2015 में अपनी एक कंपनी ‘लेनरो’ बनाई। सौरव ने इस काम शुरू करने से पहले द्वारिका के एक अपार्टमेंट में करीब 100 लोगों के बीच सर्वे किया। सर्वे में 75 प्रतिशत लोग आपस में किताबों का आदान प्रदान करना चाहते थे, लेकिन उनका कहना था कि अपार्टमेंट में वे किसी को जानते ही नहीं इस वजह से वे किताबों को यूं ही संभाल कर रख देते हैं।

सौरव का कहना है कि 80 प्रतिशत लोग मशहूर लेखकों की किताबें पढ़ते हैं और एक ही सोसाइटी में एक ही लेखक की किताब कई लोगों के पास होती है और इसी किताब को अगर एक दूसरे के साथ बांट कर पढ़ा जाये तो ना सिर्फ उनका पैसा बचेगा बल्कि समय की भी बचत होगी, क्योंकि पढ़ने के बाद वे किताबें एक तरीके से उनके लिए बेकार ही हो जाती हैं।

अपने काम करने के तरीके के बारे में सौरव का कहना है कि इनकी वैवसाइट में रजिस्ट्रेशन के बाद किसी व्यक्ति को अगर किताब लेनी होती है तो वो बोरो का बटन दबाकर अपनी ओर से किताब के लिए अनुरोध कर सकता है। जिसके बाद वो किताब जिसके भी पास होगी वो उस अनुरोध को स्वीकार कर लेता है। जिसके बाद दोनों लोग मिलने का स्थान, दिन और वक्त तय कर मिलते हैं और किताबों का अदान-प्रदान करते हैं।

अभी तक ‘लेनरो’ में देशभर के करीब 4500 लोग जुड़ कर किताबों की अदला बदली कर रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा लोग दिल्ली और बेंगलुरू के लोग हैं जबकि हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद, कोलकाता और इंदौर ऐसे दूसरे शहर हैं जहां पर लोग इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर किताबों की अदला बदली करते हैं।सौरव की कोशिश है कि वो लोगों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करें कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड हों जिससे ज्यादा लोग के बीच किताबों का आदान प्रदान हो सके।

सौरव के मुताबिक अभी ‘लेनरो’ में 5 लोगों की टीम है। अपनी फंडिंग के बारे में उनका कहना है कि शुरूआती निवेश उन्होंने खुद किया है। अभी उनका सारा ध्यान लोगों के विचार लेने और उनकी समस्याओं को समझने पर है। उनका कहना है कि वो कुछ वक्त बाद अपने काम के विस्तार के लिए फंडिंग के विकल्प तलाशने की कोशिश करेंगे। भविष्य की योजनाओं के बारे में उनका कहना है कि फिलहाल उनका सारा ध्यान भारत में इसके विस्तार को लेकर है। उसके बाद वो चाहते हैं कि इस काम को वे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक भी ले जायें। ताकि हर देश के लोग अपने आस पास के एरिया में किताबों का आदान प्रदान कर सकें।

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