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Tuesday 30 July 2013

Education is mobile with Baksha

Jayshil Patel, the inventor of Baksha


“A classroom is generally a box with 4 walls and a blackboard on one side,” says budding architect Jayshil Patel, “I came up with the whole idea of modifying the same box in a different version making it modular and mobile”. The result is Baksha, a modular moveable classroom that can be transported to remote places and villages devoid of any educational infrastructure. Thus, bringing education literally to the doorstep of disadvantaged communities.
Having been forced to go to boarding school because there was no quality senior-secondary school nearby, Jayshil says he couldn't help but think of those students who had absolutely no access to any form of education and had to travel miles just to get to a classroom. “Due to the sheer scale of the population in India, education is a luxury not a right; especially for the poor and down trodden” he says.
This made him rethink the whole concept of school and classroom, and sparked off the idea for a moveable classroom that would bring education to children, particularly in the rural areas, instead of forcing them away from their homes. The concept of Baksha was thus, born. While examples are rife, across the world, of mobile vans being used to provide books and other educational materials to people on the go, there are several unique features that set Jayshil's innovation apart.
Baksha can be transported to remote areas where access to education is severely limited


Although, it functions primarily as a classroom, Baksha’s flexible nature allows it to be us
ed for other purposes as well. “The modular classroom with an area of 21 square metres is equipped with the latest teaching techniques, storage space, modular furniture and public utility services. As the furniture is modular it aligns itself with the floor” Jayshil explains. “Fusing a few of the Baksha units together, it can be utilized for performing various other activities. It can be converted into a relief camp, clinic, polio booth centre, etc”
Besides being multi-purpose  and versatile Baksha is also environmentally friendly. Built using Medium-Density Fibreboard (MDF) it uses solar panels for electricity and is economical in the long run. It is also relatively easy to transport. Jayshil’s ‘box of life’ can easily be attached to a truck, train or a helicopter depending on where it needs to be transported.
He further adds, “The structure is transparent so it gives an eye for natural light and ventilation. Sound-proofing materials are also used. It can also be raised on stilts which protects it from rain.”
Baksha can also be converted into a relief camp, clinic or polio booth centre depending upon the need 


However, despite the overwhelming positives, the 22-year-old graduate of Sardar Vallabhai Patel Institute of Technology is finding it extremely difficult to get adequate resources for his project. As a result he is yet to create a prototype. He is currently looking at government and corporate backing to help get his idea off the ground. Innovation Jockey’s, he says has given a great platform and the confidence to pursue other ideas and innovations. And he doesn’t intend to stop. A conscientious architect he wants to innovate in the field of sustainable buildings. “I am working on a concept home, which would be the first Lead and Griha certified” says an excited Jayshil. However, early challenges and hurdles have already made the 22 year old wise beyond his years. An innovator he says, like his idol Steve Jobs needs to have tremendous belief in himself and his ideas in order to fully succeed. For that one has to be willing to put up with the occasional failure.

Wednesday 17 July 2013

वेबसाइट को दें बेहतरीन डिजाइन

कुछ लोग यह सोचते हैं कि किसी खास सॉफ्टवेयर या किसी खास वेबसाइट पर मौजूद टूल उनके लिए एक बेहतरीन वेबसाइट तैयार कर सकते हैं। लेकिन ऐसा कोई जादुई सॉफ्टवेयर या टूल मौजूद नहीं है , जो आपके लिए खुद-ब-खुद एक बेहतरीन वेबसाइट तैयार कर दे। अच्छी वेबसाइट बनाना आपकी क्रिएटिविटी , तकनीक के साथ तालमेल , तैयारी और मेहनत पर निर्भर करता है। आनन-फानन में वेबसाइट तैयार करने वाले टूल अमेचर यूजर्स के लिए जरूर अनुकूल हो सकती हैं , लेकिन प्रफेशनल्स के लिए ये शायद ही कुछ काम के हों। फिर भी , ऐसी कुछ सुविधाओं पर भी हम इस सीरीज के दौरान चर्चा करेंगे। हमारा फोकस इस बात पर ही रहेगा कि आप कायदे की एक वेबसाइट बना सकें।

अपनी वेबसाइट बनाने और होस्ट करने से पहले आपको उसके डिजाइन , रंग-रूप , कॉन्टेन्ट , फीचर्स , ढांचे , इंटरऐक्टिविटी वगैरह के बारे में कुछ जरूरी फैसले करने होंगे। दूसरा , भले ही आपको विशेष तकनीकी जानकारी न हो , फिर भी कुछ तकनीकी मुद्दों पर आपको ही सोचना होगा। बेशक , हमारी मदद से।

डिजाइन और कॉन्टेंट के नियम 
ज्यादातर लोग अपनी वेबसाइट को रंग-बिरंगी और तरह-तरह के ऐनिमेशन से भरी हुई बनाना चाहते हैं। लेकिन जिस तरह कपड़े वही अच्छे होते हैं , जो आपको नहीं , दूसरों को अच्छे लगें , उसी तरह वेबसाइट का डिजाइन भी वही बेहतर है , जो औरों को पसंद आए। डिजाइन बनाने/बनवाने से पहले इन बातों पर ध्यान दें :

- साइट दिखने में सादी , स्तरीय और आकर्षक हो , बचकानी नहीं।

- यहां फोकस उन्हीं जानकारियों पर रहना चाहिए , जो आप साइट पर आने वालों को देना चाहते हैं। जैसे आपके प्रॉडक्ट , सर्विसेज़ , क्लाइंट्स की लिस्ट , खासियतें वगैरह।

- साइट बनाने के पीछे एक बुनियादी मकसद होना चाहिए और वही सबसे ऊपर दिखना भी चाहिए। अगर आप इनवर्टर बनाते हैं, तो होमपेज पर ही आपके इनवर्टर की तसवीरें और उनसे जुड़े कुछ प्रमुख बिंदु दिखाई दे जाने चाहिए। बाकी जानकारी भीतर के पेजों पर दी जा सकती है।

- पाठक को एक नजर में ही आपके काम का आइडिया मिल जाना चाहिए। कोई भी उन्हें वेबसाइट के दूसरे हिस्सों में जाकर ढूंढने वाला नहीं है।

- बेवजह के ऐनिमेशन , विडियो , चित्र , म्यूजिक आदि साइट का स्तर घटाते हैं और बेवजह लोगों का ध्यान इधर-उधर की चीजों में भटकाते हैं। ऐसी चीजें बच्चों के क्लास प्रॉजेक्ट्स में ही अच्छी लगती हैं। हां , अगर वे आपके काम से जुड़े हैं तो जरूर इस्तेमाल करें।

- हर शख्स के पास तेज रफ्तार वाला इंटरनेट कनेक्शन नहीं होता , इसलिए किसी भी वेब पेज पर डाले जाने वाले कॉन्टेंट का आकार सीमित होना चाहिए। जिन चित्रों , विडियो , ऐनिमेशन्स आदि को पेज पर डालना चाहते हैं , उनकी फाइलों का साइज देखें। एक पेज पर जाने वाली सब चीजों का आकार 100 केबी तक रहे तो पेज हर किस्म के ब्रॉडबैंड कनेक्शन पर आसानी से खुल जाएगा। यहां तक कि मोबाइल फोन पर भी।

- आप अपने चित्रों , फोटो आदि की फाइल का आकार घटा भी सकते हैं। इसके लिए फोटोशॉप जैसे सॉफ्टवेयर या netmechanic.com जैसी इंटरनेट साइट की मदद लें।

- साइट पर सिर्फ सटीक और जरूरी जानकारियां डालें। यह सोचकर बेवजह पन्नों की संख्या या साइज बढ़ाने की जरूरत नहीं है कि बड़ी साइट आपकी बड़ी इमेज बनाएगी।

- शुरुआत में सब कुछ आसान रखें। नए फीचर , सर्विसेज़ , कॉन्टेंट आदि बाद में भी जोड़ते रह सकते हैं।

- पॉप-अप विंडोज (लिंक दबाने पर अलग से खुलने वाली ब्राउजर विंडो) का इस्तेमाल न करें।

अच्छी और कामयाब साइट के गुर
- साइट जल्दी खुलनी चाहिए
- एक से दूसरे पेज में जाना आसान हो (ईजी नैविगेशन)
- हमेशा ताजा सूचनाएं मौजूद हों (अपडेटेड)
- कभी बंद न हो (मिनिमम डाउनडाइम)
- ईमेल का जवाब देने की व्यवस्था हो
- सर्च इंजनों (गूगल , बिंग , याहू आदि) में प्रमुखता से दिखे
- स्पेलिंग या ग्रामर की अशुद्धियां न हों
- हर तरह के ब्राउजर (इंटरनेट एक्सप्लोरर , क्रोम , फायरफॉक्स , सफारी आदि) पर खुले और एक-सी दिखे
- वेबपेजों की लंबाई-चौड़ाई (रिजॉल्यूशन) ऐसा हो कि हर साइज के मॉनिटर पर दिखाई दे। पेज इतना चौड़ा न हो कि लोगों को स्क्रॉल बार का इस्तेमाल करना पड़े।
- डोमेन नेम कभी एक्सपायर नहीं होना चाहिए और न ही वेब होस्टिंग अकाउंट।

किसी भी वेबसाइट के चार सबसे अहम तत्व हैं: 
1. मकसद , काम या संदेश जिसके लिए वह बनी है
2. ढांचा या स्ट्रक्चर
3. कॉन्टेंट या सामग्री
4. डिजाइन , इंटरफेस या लेआउट

वेबसाइट बनाना शुरू करने से पहले इन चारों के लिए तैयारी और रिसर्च जरूरी है। 
1. मकसद , काम या संदेश : हर वेबसाइट कोई न कोई मकसद पूरा करने के लिए बनाई जाती है। वह पहले से ही साफ होना चाहिए ताकि बेवजह इधर-उधर भटके बिना आप अपनी जरूरतों के मुताबिक सटीक वेबसाइट तैयार कर सकें। आपकी वेबसाइट का होमपेज खुलते ही यह मकसद आपके पाठकों को भी साफ हो जाना चाहिए।

2. वेबसाइट का ढांचा : एक प्रफेशनल वेबसाइट में हर वह सूचना या उसके अंश मौजूद होने चाहिए , जो आपके ग्राहकों या पाठकों के लिए अहम हो सकती है। जैसे, होमपेज, आपके बारे में, आपकी सेवाएं या उत्पाद, नई खबरें , नए उत्पादों का ब्योरा, पूछे जाने वाले सवाल, बड़े ग्राहकों का ब्योरा , आपके बारे में उनकी राय, डाउनलोड सामग्री (मीडिया और निवेशकों के लिए), ईमेल और डाक भेजने के लिए ब्योरा तथा संपर्क पेज ( Contact Us )

3. कॉन्टेंट या सामग्री , जो जुटानी होगी : कंपनी का लोगो , हर वेब पेज पर डाला जाने वाला ब्योरा, प्रॉडक्ट्स और सेवाओं से जुड़ी तस्वीरें, गतिविधियों , इवेन्ट्स , उपलब्धियों से जुड़े चित्र, ऑफिशल ईमेल अड्रेस, डाउनलोड के लिए डाली जाने वाली सामग्री (पीडीएफ , कैटलॉग , फॉर्म आदि), डिजाइन के लिए आकर्षक ग्राफिक्स , बैकग्राउंड इमेज आदि।

4. अच्छा डिजाइन कैसे बने : हर शख्स डिजाइनर नहीं होता और न ही सबके पास अपनी कल्पनाओं को हकीकत में ढालने की क्षमता होती है। लेकिन पहले तैयारी की जाए तो आपकी वेबसाइट आपकी कल्पना के ज्यादा करीब आ सकती है।

- इंटरनेट पर रिसर्च करें और कुछ अच्छी वेबसाइटों के डिजाइन देखें।
- अपने मुकाबले वाली कंपनियों की वेबसाइटों को देखें।
- उन सुविधाओं और फीचर्स की सूची तैयार करें , जो आप साइट में चाहते हैं।
- एक सादे कागज पर आपकी भावी वेबसाइट का चित्र या नक्शा खींचने का प्रयास करें।

इन चारों चरणों में इकट्ठी की गई सामग्री अपने वेब डिजाइनर को दें। अगर आप खुद साइट बनाने का इरादा रखते हैं तो वेब डिवलपमेंट शुरू करने से पहले इसे तैयार रखें।

काम शुरू करने से पहले जान लें
- आपकी वेबसाइट कोई सिंगल फाइल नहीं , बल्कि कई फाइलों (वेब पेजों) का ग्रुप है , जिन्हें आपस में लिंक किया जाता है।

- इन फाइलों के एक्सटेंशन . htm, .html, .asp, .php, .asp&, .jsp आदि होते हैं।

- साइट का होमपेज वह है , जो वेबसाइट का अड्रेस डालने पर सबसे पहले दिखाई देता है।

- जिस वेबसाइट में होमपेज नहीं है , वह पूरी की पूरी वेबसाइट ही ब्राउजर में नहीं खुलेगी , क्योंकि आपका होमपेज साइट का प्रवेश द्वार है।

- वेब पेज स्टैटिक भी हो सकते हैं और डायनैमिक भी। स्टैटिक पेज वह है , जिसमें दी गई सूचनाएं लंबे वक्त तक नहीं बदलतीं। डायनैमिक पेज की जानकारी तेजी से बदलती रहती है। जैसे अखबारों की वेबसाइटें , जिन पर रोज नई खबरें दिखती हैं।

- स्टैटिक होमपेज की फाइल का नाम अमूमन inde&.htm, default.htm होता है।

- डायनैमिक वेबपेज बनाने के लिए सर्वर साइड स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज (डॉट नेट , पीएचपी , रूबी , पर्ल , जेएसपी आदि) का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी साइटों के होमपेज का फाइल नाम default.asp&, inde&.php जैसा होता है।

- वेब पेजों को पहले अपने कंप्यूटर में तैयार किया जाता है। उसके बाद उन्हें वेब सर्वर पर डाला (अपलोड किया) जाता है। इसके लिए FTP सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल किया जाता है। ये सॉफ्टवेयर आपके और आपके वेब सर्वर के बीच उसी तरह फाइलों का ट्रांसफर कर सकते हैं , जैसे आप अपने कंप्यूटर में एक जगह से दूसरी जगह पर करते हैं।

- वेब पेजों को तैयार करने के लिए कुछ खास सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें WYSIWYG कहा जाता है , जिसका अर्थ है- What you see is what you get, यानी जैसा डिजाइन किया हुआ पेज आपको अपनी स्क्रीन पर दिख रहा है , वैसा ही इंटरनेट पर भी दिखेगा।

खास-खास वेब पेज डिजाइन सॉफ्टवेयर (चार्जेबल) 
ये सॉफ्टवेयर वेब पेज डिजाइन और डिवलपमेंट के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका इस्तेमाल माइक्रोसॉफ्ट वर्ड जितना ही आसान है , हालांकि HTML (वेब पेज बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कंप्यूटर लैंग्वेज या फॉर्मैट) की जानकारी होना बेहतर है।

-Microsoft Expression Web
-Adobe Dreamweaver
-Microsoft FrontPage
-Adobe GoLive
-Adobe Contribute
-Microsoft Sharepoint Designer
-Microsoft Visual Web designer
-Microsoft Publisher
इनमें से पहले तीन सॉफ्टवेयर सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं।

MS Word से बनाएं वेबसाइट
- आप चाहें तो Microsoft Word में ही अपनी फाइल तैयार कर उसे वर्ड फॉर्मैट ( .doc ) के बजाय वेब फॉर्मैट (. htm या . html ) में सेव कर सकते हैं। बस हो गया आपका वेब पेज तैयार।

- इस फॉर्मैट में सेव करने के लिए अपनी वर्ड फाइल तैयार करने के बाद Save As विकल्प का इस्तेमाल करें और वहां बॉक्स में दिखने वाले फॉर्मैट्स की सूची में वेब पेज (. html ) चुन लें। इस विकल्प तक पहुंचने के लिए Microsoft Office 2007 और आगे के सॉफ्टवेयरों में Other Format बटन भी दबाना होगा।

- फाइल का नाम कुछ भी रखा जा सकता है , लेकिन यदि आप उसे वेबसाइट का होमपेज बनाना चाहते हैं तो नाम रखें- index.html

- जहां यह फाइल सेव हुई है , वहां उसके आइकन पर क्लिक करके देखें। फाइल एमएस वर्ड में नहीं , बल्कि इंटरनेट एक्सप्लोरर या आपके दूसरे वेब ब्राउजर में खुलेगी। यानी अब वह वर्ड फाइल नहीं रही , बल्कि वेब पेज में बदल चुकी है।

फ्री वेब पेज डिजाइन सॉफ्टवेयर
- कमोडो एडिट (activestate.com/komodo-edit)
- एपटाना स्टूडियो (aptana.com)
- नेट बीन्स (netbeans.org)
- ब्लू फिश (bluefish.openoffice.nl)
- कॉफी कप एडिटर (coffeecup.com/free-editor)
- एचटीएमएल किट (htmlkit.com)
- एक्लिप्स (eclipse.org)
- सी मंकी (seamonkey-project.org)

कुछ फ्री ऑनलाइन वेब डिजाइन सॉफ्टवेयर
सीके एडिटर (CKEditor.com)
ओपनबेक्सी (OpenBEXI.com)
स्नैप एडिटर (SnapEditor.com)
टाइनी एमसीई (TinyMCE.com)


डब्ल्यूवाईएम एडीटर (WYMeditor.org)

वे लोग कैसे वेबसाइट बनाएं , जिन्हें HTML की जानकारी नहीं :
ऐसे लोगों के लिए इस तरह के सॉफ्टवेयर आते हैं-
- विजार्ड आधारित सॉफ्टवेयर (स्टेप बाई स्टेप अप्रोच)
- ड्रैग ऐंड ड्रॉप सॉफ्टवेयर (कॉन्टेंट को सॉफ्टवेयर पर ड्रैग करके सेट करना)
- वेबसाइटों पर मौजूद वेबपेज मेकर (फॉर्म भरने और चित्र अपलोड करके वेब पेज तैयार करना)
- कॉन्टेंट मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस)

ऐसे मात दें साइबर जासूसों को नवभारत टाइम्स | Defeat Cyber Hackers


बालेन्दु शर्मा दाधीच।।
हाल में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन ने रहस्य से पर्दा उठाया था कि अमेरिकी नैशनल सिक्युरिटी एजेंसी (एनएसए) दुनिया भर के (भारतीयों समेत) आम लोगों की इंटरनेट ऐक्टिविटी पर नजर रखे हुए है। उनके ईमेल, चैट, स्काइप पर हुई बातचीत, इंटरनेट डेटा स्टोरेज वेबसाइटों पर रखी फाइलों और उनके पर्सनल डेटा को ऐक्सेस किया जा रहा है। हमारी सरकार भी सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम (सीएमएस) के नाम से अपने नागरिकों की इंटरनेट गतिविधियों की निगरानी का सिस्टम लाने जा रही है। और तो और बहुत से हैकर्स और क्रिमिनल्स की नजरें भी आपके संदेशों पर हो सकती हैं। कोई नहीं चाहेगा कि इंटरनेट ब्राउजर खोलने के बाद वह जो कुछ भी करता है, उस पर कोई लगातार नजर रखे। इस सबके बावजूद इस तरह की जासूसी से बचना और इंटरनेट पर अपनी प्राइवेसी को बनाए रखना असंभव नहीं है। जिन कंपनियों के डेटा की मॉनिटरिंग की जा रही है, उनसे दूर रहकर या फिर वेब पर अपने संदेशों को एनक्रिप्ट (गुप्त भाषा में बदल कर) करके आप खुफिया आंख से बच सकते हैं। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप डट कर साइबर जासूसी का मुकाबला कर सकते हैं:

ईमेल सर्विस बदलें
1. अगर आपके लिए जीमेल, आउटलुक.कॉम (पहले लाइव और हॉटमेल) और याहूमेल की ईमेल सेवा की तुलना में अपनी प्राइवेसी अधिक जरूरी है, तो ऐसी ईमेल सेवाओं को अपना लीजिए जो आपकी गतिविधियों, लोकेशन आदि को नोट नही करतीं। नीचे दी गईं साइट्स आपके संदेशों को इस तरह से भेजती हैं कि वे जासूसों से सुरक्षित रहें। hushmail तो आपके मेसेज को एनक्रिप्ट (उलटी- पुलटी मशीनी भाषा में बदलकर) करके भेजती है।


ईमेल एनक्रिप्ट करें

अगर आप जीमेल, आउटलुक.कॉम और याहूमेल के साथ ही बने रहना चाहते हैं, तो अपने ईमेल्स को एनक्रिप्ट करके भेजना और रिसीव करना शुरू करें। कम से कम ऐसे संदेशों को जरूर एनक्रिप्ट करें, जो गोपनीय हैं और आपके लिए बहुत जरूरी हैं।


कैसे करें एनक्रिप्शन

एनक्रिप्शन के लिए ऑनलाइन सेवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। एनक्रिप्शन साइट्स पर दिए गए बॉक्स में अपना संदेश डालें और उसे एनक्रिप्ट करने के लिए अपनी पसंद का पासवर्ड बताकर बटन दबाएं। संदेश के एनक्रिप्ट हो जाने पर उसे कॉपी कर सामान्य ईमेल से भेज दें। बाद में रिसीव करने वाले को वही पासवर्ड बता दें। वह मेसेज को एनक्रिप्शन वाली वेबसाइट पर पेस्ट करने के बाद डिक्रिप्ट करके पढ़ सकेगा। कुछ एनक्रिप्शन साइट्स हैं -


गुमनाम ईमेल
कोई सीक्रेट मेल भेजने के लिए अपनी ईमेल सर्विस के बजाय ऐसी ईमेल सर्विस का इस्तेमाल करें, जो ईमेल अकाउंट बनाए बिना ही संदेश भेजने की सुविधा देती है। यहां आपकी पहचान, लोकेशन आदि दर्ज नहीं होती, इसलिए प्राइवेसी बनी रहती है। अपनी इंटरनेट सिक्युरिटी को और पुख्ता करना चाहते हैं, तो पहले अपने मेसेज को ऊपर बताए वेब पेजों पर एनक्रिप्ट कर लें और फिर इन ईमेल सेवाओं के जरिए भेजें। ऐसी कुछ ईमेल सर्विसेज़:


कुछ देर का ईमेल
कुछ वेबसाइट्स आपको अस्थायी ईमेल अकाउंट की सुविधा देती हैं, जो कुछ देर के लिए एक्टिव रहता है। जहां आने के बाद आप 10 मिनट तक जितने चाहें मेसेज भेजें और उसके बाद अकाउंट डिलीट हो जाता है। जब आप खुद ही नहीं जानते कि आपका अकाउंट कहां गया, तो किसी और के लिए उसे खोजना नामुमकिन है। ऐसी ही एक ईमेल सर्विस है http://10minutemail.com

पर्सनल सर्वर
यदि आप कोई इंस्टिट्यूट चलाते हैं, जिसमें कई लोगों के ईमेल अकाउंट मौजूद हैं तो फ्री वेब मेल सर्विस के बजाय पर्सनल ईमेल सर्वर भी स्थापित कर सकते हैं, ताकि आप के सभी ईमेल मेसेज हिफाजत में रहें।

अगर न अपना सकें ये ऑप्शंस
यदि आप इनमें से किसी ऑप्शन को आजमाने की स्थिति में नहीं हैं, तो कम से कम अपने ईमेल मेसेज्स को जीमेल और याहूमेल के सर्वर पर स्टोर रखने के बजाय कंप्यूटर में डाउनलोड करना शुरू करें। यह पूरी तरह सुरक्षित तो नहीं है, लेकिन एकदम असुरक्षित होने से बेहतर है। ईमेल को डाउनलोड करने के लिए ईमेल क्लाइंट सॉफ्टवेयर का प्रयोग करें, जैसे विंडोज लाइव मेल, आउटलुक, मोजिला थंडरबर्ड आदि। ये सभी फ्री डाउनलोड किए जा सकते हैं।

क्लाउड भी नहीं है सेफ
आज-कल बहुत से लोग अपनी निजी फाइलों को माइक्रोसॉफ्ट स्काईड्राइव, गूगल ड्राइव, ड्रॉप बॉक्स आदि क्लाउड स्टोरेज वेबसाइटों पर सहेज कर रखते हैं। लेकिन यहां रखी पर्सनल और गोपनीय सामग्री तक सिर्फ उन्हीं की पहुंच हो, ऐसा नहीं है। एनएसए जैसी एजेंसियां जब चाहें इन्हें खंगाल सकती हैं। इन पर सहेजी जानेवाली सामग्री को एनक्रिप्ट करने के लिए http://www.cloudfogger.com/ से फ्री सॉफ्टवेयर इन्स्टॉल कर सकते हैं। आपके कंप्यूटर में इन्स्टॉल होने के बाद यह हर उस फाइल को 256 बिट एईएस पद्धति से एनक्रिप्ट कर देगा, जिसे आप क्लाउड स्टोरेज वेबसाइटों पर रखना चाहते हैं। इसी की मदद से उन्हें वापस डिक्रिप्ट करके आप इस्तेमाल कर सकते हैं। वैसे ही, जैसे जिप और अनजिप का प्रयोग करते हैं। ऐसी फाइलों को कोई अन्य शख्स डाउनलोड कर भी ले, तो पढ़ नहीं सकता।

इन्स्टैंट मेसेजिंग और विडियो चैट
गूगल चैट, स्काइप और गूगल टॉक जैसे सॉफ्टवेयर और सर्विसेज़ में प्राइवेसी सुरक्षित नहीं है, तो कोई बात नहीं। पियर-टु-पियर एनक्रिप्टेड विडियो कॉल्स के लिए स्काइप के बजाए जिट्सी (https://jitsi.org/) को डाउनलोड कर इस्तेमाल किया जा सकता है, जो किसी भी तरह की ताक-झांक के खतरे से फ्री है।

इसी तरह इन्स्टैंट मेसेजिंग के लिए एकदम सुरक्षित, फ्री चैट क्लाइंट पिडगिन (http://pidgin.im/) का इस्तेमाल करें जो सेफ तो है ही, ढेरों चैट सॉफ्टवेयर्स (गूगल टॉक, आइसीक्यू, एमएसएन, याहू आदि) का प्रयोग करने वाले यूजर्स के साथ चैट करने की सुविधा भी देता है। ऐसे ही कुछ और सॉफ्टवेयर हैं- http://bitwiseim.com/ औरhttp://projectscim.com/

हमेशा रहें अलर्ट
- अपने कंप्यूटर में अच्छा ऐंटि-वायरस और ऐंटि-स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर (जैसे नॉर्टन, मैकेफी, कैस्परस्की, ट्रेंड माइक्रो आदि) इन्स्टॉल करके रखें और अपडेट करते रहें। फ्री उपलब्ध अवास्ट (http://www.avast.com)भी बहुत अच्छा ऐंटि-वायरस है।

- इंटरनेट यूज़ करते समय ब्राउजर में मौजूद प्राइवेसी सुविधा का प्रयोग करें। प्राइवेट ब्राउजिंग से विजिट किए गए इंटरनेट ठिकानों का ब्योरा कंप्यूटर में सेव नहीं किया होता।
क्रोम में Tools->New Incognito Window
इंटरनेट एक्स्प्लोरर में Safety->In-Private Browsing
फायरफॉक्स ब्राउज़र में ​File>New Private Window

-स्थायी रूप से ब्राउजर हिस्ट्री डिलीट करने का ऑप्शन भी अच्छा है। उन्हीं वेबसाइट्स का इस्तेमाल करें जो सिक्योर सर्वर लेयर (SOL) का प्रयोग करती हैं। इनमें डेटा फ्लो एनक्रिप्टेड तरीके से होता है। ऐसी वेबसाइट्स के वेब एड्रेस की शुरुआत https:// से होती है, http:// से नहीं, जो सामान्य वेबसाइट्स पर इस्तेमाल होता है।

अब पेशाब से चार्ज हो सकेगा मोबाइल फोन! [Recharge your Mobile with Urine]


Now, human pee can charge your cell phone
लंदन।। अब मोबाइल फोन पेशाब से चार्ज किया जा सकेगा! हैरान न होइए, ब्रिटेन  साइंटिस्ट्स ने ऐसी अनोखी तकनीक खोज निकाली है। साइंटिस्ट्स का दावा है इस तकनीक से मोबाइल फोन को इंसान के पेशाब से चार्ज किया जा सकता है।

ब्रिस्टल रोबॉटिक्स लेबोरेटरी में काम करने वाले साइंटिस्ट्स ने यह 'अहम' खोज की है। खोज में उन्होंने पाया कि पेशाब के जरिए बिजली पैदा कर मोबाइल फोन को चार्ज किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट ऑफ इंग्लैंड (यूडब्ल्यूई), ब्रिस्टल के एक्सपर्ट डॉ. लोएनिस लेरोपौलस ने कहा, 'हम इस बात से बेहद उत्साहित हैं कि ऐसा दुनिया में पहली बार हुआ है। किसी ने पेशाब से एनर्जी पैदा नहीं की थी। इस तरह की खोज बहुत उत्साह बढ़ाने वाली है। इस अपशिष्ट पदार्थ को बिजली पैदा करने के लिए एनर्जी के रूप में प्रयोग करना पर्यावरण के लिए भी सही है।'

लेरोपौलस ने कहा, 'पेशाब एक ऐसा उत्पाद है जो कभी भी खत्म नहीं हो सकता। इससे एनर्जी पैदा करने के लिए पेशाब को माइक्रोबियल फ्यूल सेल (एमएफसीज) के कैसकेड से प्रवाहित किया जाता है जिससे बिजली पैदा होती है। इसमें हमें प्रकृति के अनियमित ऊर्जा के स्रोतों सूरज या हवा पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।'

उन्होंने कहा कि इस तरह से चार्ज किए गए मोबाइल फोन से एसएमएस संदेश भेजने, वेब ब्राउजिंग और छोटी फोन कॉल करने जितनी ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।

Tuesday 16 July 2013

Innovation for LANAGER




Anandpur Sahib Gurudwara.. 

The Blue Drum has a bike handle at the top if it. There is also a Clutch in the Bike handle.  The clutch wire is connected with the water Tap at the bottom of the drum.  This man(Sewadar) only has to press the clutch to refill water for the thirsty. This ensures that the Sewadar doesn't need to bend down every time to pour water. ..

Success Cycle


Mandela sculpture - Brilliant !!!

 

 
Check out this fantastic Nelson Mandela sculpture below. It consists of 50 ten metre high laser cut steel plates set into the landscape, representing the 50 year anniversary of when and where Mandela was captured and arrested in 1962 (prior to his 27 years of incarceration).
Standing at a particular point (presumably the spot where the people are standing in Photo #2), the columns come into focus and the image of Mandela can be seen.
 
 
 
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The sculptor is Marco Cianfanelli, of Johannesburg... brilliant, isn't it!!!

The Road to Happiness


विज्ञान की बंजर जमीन पर आविष्कार की 'फसल'

नवीन चिकारा, बागपत
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बंजर पड़ी जनपद की जमीन अब आविष्कार की फसल लहलहाने की तैयारी में है। इसके लिए माध्यम बनी हैं वर्षो पुरानी वे तकनीकें, जिन्हें उस समय ईजाद किया गया था जब अत्याधुनिक साइंस लैब अस्तित्व में नहीं थीं। जनपद के शिक्षण संस्थानों में साइंस लैबों की दयनीय हालत के बीच कुछ गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा विद्यार्थियों को प्रायोगिक तौर पर समृद्ध करने की कवायद रंग लाने लगी है। फ्रांस की अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट ऐराथोस्थेनीज डॉट कॉम पर बागपत जनपद को न सिर्फ जगह दी गई है, बल्कि यहां कराए जा रहे विभिन्न प्रयोगों के डाटा भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शेयर किये जा रहे हैं।
प्रगति विज्ञान संस्था ने उठाया बीड़ा
मेरठ की संस्था प्रगति विज्ञान प्रदेश भर में विज्ञान से जुड़े प्रयोग करा रही है। इस संस्था द्वारा जनपद के विभिन्न स्कूलों, कालेजों में आओ प्रयोग करें अभियान के माध्यम से 2200 ईसा पूर्व ईजाद किए गए ऐराथोस्थनीज सिद्धांत के जरिए जटिल खगोलीय गणनाओं को सरलतम तरीके से सिखाया जा रहा है। संस्था के जिला समन्वयक योगेश कुमार बताते हैं कि एराथो प्रयोग के अलावा यह संस्था विज्ञान आओ करके सीखें, मॉडल रॉकेट बनाना, कठपुतलियों के माध्यम से विज्ञान का प्रसार, खाद्य पदार्थो में मिलावट जांच के लिए प्रशिक्षण, विज्ञान के चमत्कारों की व्याख्या के लिए सेमिनार, जैविक खाद्य बनाने का प्रशिक्षण, खगोलीय गतिविधियों से आमजन को जोड़ना आदि गतिविधियों का आयोजन करा रही है। ताकि रूट लेविल पर वैज्ञानिक नजरिए को विकसित किया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट पर ऑनलाइन
फ्रांस की अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट ऐराथोस्थेनीज डॉट कॉम पर क्लिक करने पर दा मेजर अर्थ आप्शन खोलने पर अगल-अलग देशों में हो रहे ऐराथो प्रयोग के डाटा सर्च किए जा सकते हैं। बागपत इस वेबसाइट पर सन् 2011 से ऑनलाइन हो चुका है। प्रगति विज्ञान द्वारा बागपत में कराए जा रहे प्रयोगों से प्राप्त डाटा को इस वेबसाइट पर डाला जा रहा है।
इंटरनेशनल सिटीजन साइंस प्रोजेक्ट से जुड़ रहे विद्यार्थी
अपने स्कूल में किए गए प्रयोग के बाद एकत्र किए गए डाटा के माध्यम से विद्यार्थी इंटरनेशनल सिटिजन साइंस प्रोजेक्ट से सीधे तौर जुड़ जाते हैं। विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से देश-विदेशों के प्रयोगकर्ताओं से सीधे बातचीत कर सकते हैं और अपने डाटा को मैच कर सकते हैं।

आविष्कार दे रहे हैं मौत!

बागपत। कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है। अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए लोगों ने नए-नए जुगाड़ लगाए। इसमें कुछ सफल हुए, लेकिन अधिकतर ने कई जिंदगी निगल लीं। ऐसे ही कुछ हादसों की 'दैनिक जागरण' ने पड़ताल की।
केस-1
वर्ष 2007 में बड़ौत कोतवाली के बावली गांव में भट्ठा मजदूर राहुल पुत्र मांगे ने एक देशी प्रेस बनाया, जिसे देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा था। इसमें एक छोटे से लोहे के तवे पर उसने हीटर का एलीमेंट फिट किया और उसके ऊपर लोहे की हैंडिल लगाई। महज तीन दिन बाद ही शर्ट प्रेस करते समय करंट से उसकी मौत हो गई।
केस-2
इस तरह की घटना बड़ौत के पठानकोट मोहल्ले में भी करीब दो वर्ष पूर्व हुई। रोजुद्दीन के 21 वर्षीय पुत्र शमशाद ने बिजली का पुराना मीटर लिया और उसमें चिप के जरिए सीडी प्लेयर की एलसीडी लगाई, ताकि उसे डिजीटल मीटर बनाया जा सके। उसने जैसे ही स्विच ऑन किया उसमें विस्फोट हो गया। इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया और सप्ताहभर बाद उसकी मौत हो गई।
केस-3
सरूरपुर खेड़ी गांव में वर्ष 2003 के आसपास किसान राजेंद्र सिंह ने खेत में कीड़ों को मारने के लिए चूहों की दवा, यूरिया और अन्य कई पेस्टीसाइड्स को मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया। जब उसने खेत में छिड़काव किया तो वह मिश्रण पानी में घुलकर उल्टा असर कर गया। उसकी तीव्र दुर्गध के कारण राजेंद्र सिंह खेत में ही बेहोश हो गया और चंद मिनटों में उसकी मौत हो गई।
केस-4
लायन सरूरपुर गांव में बीटेक के एक छात्र ने बल्ब का फिलामेंट लेकर उससे पानी गर्म करने की रॉड बनाने का प्रयास किया। उसका कहना था कि वह दुनिया की सबसे छोटी रॉड बनाएगा, न तो करंट लगेगा और न ही पानी गर्म होने में अधिक समय लगेगा। खेत में प्रयोग करते समय उसका हाथ बिजली के तार से छू गया, जिससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई।
अधिकारी बोले..
'मेरे ख्याल से इस तरह के बेतुके आविष्कार करना गलत है। जब तक मनुष्य को किसी चीज के बारे में सही जानकारी न हो जाए उससे खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। इन मामलों से प्रतीत हो रहा है कि इन्हें अधिक जानकारी नहीं थी।'
एके गुप्ता, एसई, बागपत