Total Pageviews

Sunday 18 August 2013

विकलांगता पर हौसले की जीत, पांव से ट्रेक्टर चलाते हैं जगतार


physically disability

किसी ने सही कहा है कि युद्ध में वही जीतता है, जो अंत तक उम्मीद बनाए रखता है। कभी सब कुछ खत्म नहीं होता। वह चाहे जीवन रूपी समर ही क्यों न हो। इसे सही मायनों में चरितार्थ किया है 43 वर्षीय जगतार सिंह ने।
हल्दरी गांव के इस किसान को पैरों की सहायता से ही खेती करते, उन्हीं से कॉपी पर लिखता देख हर कोई दंग रह जाता है। जगतार बताते हैं कि 24 जून 1991 का काला दिन उसे आज भी याद है जब खेती करते वक्त ट्यूबवेल से करंट लग गया। चंडीगढ़ पीजीआइ में कई दिन जिंदगी व मौत के बीच जूझने के बाद डॉक्टरों को उसके दोनों बाजू काटने पड़े। इस हादसे के बाद पूरा परिवार सदमे में आ गया था।
करीब दो साल बाद उसने होश संभाला और इस मुश्किल घड़ी में भी जीवन जीने का रास्ता निकाला। धीरे-धीरे पैरों से ट्रैक्टर चलाने का अभ्यास शुरू किया। पैर से ट्रैक्टर का स्टेयरिंग संभालने, गियर लगाने और रेस नियंत्रित करने में निपुणता हासिल करने से उसे एक नई प्रेरणा मिली। अब वह सामान्य किसान की तरह खेतों में ट्रैक्टर चलाने के साथ ही अन्य कृषि कार्य बखूबी कर रहा है। इतना ही नहीं वह अपने पैरों से ही लिखने का काम भी कर लेता है।

No comments: