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Wednesday 17 July 2013

ऐसे मात दें साइबर जासूसों को नवभारत टाइम्स | Defeat Cyber Hackers


बालेन्दु शर्मा दाधीच।।
हाल में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन ने रहस्य से पर्दा उठाया था कि अमेरिकी नैशनल सिक्युरिटी एजेंसी (एनएसए) दुनिया भर के (भारतीयों समेत) आम लोगों की इंटरनेट ऐक्टिविटी पर नजर रखे हुए है। उनके ईमेल, चैट, स्काइप पर हुई बातचीत, इंटरनेट डेटा स्टोरेज वेबसाइटों पर रखी फाइलों और उनके पर्सनल डेटा को ऐक्सेस किया जा रहा है। हमारी सरकार भी सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम (सीएमएस) के नाम से अपने नागरिकों की इंटरनेट गतिविधियों की निगरानी का सिस्टम लाने जा रही है। और तो और बहुत से हैकर्स और क्रिमिनल्स की नजरें भी आपके संदेशों पर हो सकती हैं। कोई नहीं चाहेगा कि इंटरनेट ब्राउजर खोलने के बाद वह जो कुछ भी करता है, उस पर कोई लगातार नजर रखे। इस सबके बावजूद इस तरह की जासूसी से बचना और इंटरनेट पर अपनी प्राइवेसी को बनाए रखना असंभव नहीं है। जिन कंपनियों के डेटा की मॉनिटरिंग की जा रही है, उनसे दूर रहकर या फिर वेब पर अपने संदेशों को एनक्रिप्ट (गुप्त भाषा में बदल कर) करके आप खुफिया आंख से बच सकते हैं। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप डट कर साइबर जासूसी का मुकाबला कर सकते हैं:

ईमेल सर्विस बदलें
1. अगर आपके लिए जीमेल, आउटलुक.कॉम (पहले लाइव और हॉटमेल) और याहूमेल की ईमेल सेवा की तुलना में अपनी प्राइवेसी अधिक जरूरी है, तो ऐसी ईमेल सेवाओं को अपना लीजिए जो आपकी गतिविधियों, लोकेशन आदि को नोट नही करतीं। नीचे दी गईं साइट्स आपके संदेशों को इस तरह से भेजती हैं कि वे जासूसों से सुरक्षित रहें। hushmail तो आपके मेसेज को एनक्रिप्ट (उलटी- पुलटी मशीनी भाषा में बदलकर) करके भेजती है।


ईमेल एनक्रिप्ट करें

अगर आप जीमेल, आउटलुक.कॉम और याहूमेल के साथ ही बने रहना चाहते हैं, तो अपने ईमेल्स को एनक्रिप्ट करके भेजना और रिसीव करना शुरू करें। कम से कम ऐसे संदेशों को जरूर एनक्रिप्ट करें, जो गोपनीय हैं और आपके लिए बहुत जरूरी हैं।


कैसे करें एनक्रिप्शन

एनक्रिप्शन के लिए ऑनलाइन सेवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। एनक्रिप्शन साइट्स पर दिए गए बॉक्स में अपना संदेश डालें और उसे एनक्रिप्ट करने के लिए अपनी पसंद का पासवर्ड बताकर बटन दबाएं। संदेश के एनक्रिप्ट हो जाने पर उसे कॉपी कर सामान्य ईमेल से भेज दें। बाद में रिसीव करने वाले को वही पासवर्ड बता दें। वह मेसेज को एनक्रिप्शन वाली वेबसाइट पर पेस्ट करने के बाद डिक्रिप्ट करके पढ़ सकेगा। कुछ एनक्रिप्शन साइट्स हैं -


गुमनाम ईमेल
कोई सीक्रेट मेल भेजने के लिए अपनी ईमेल सर्विस के बजाय ऐसी ईमेल सर्विस का इस्तेमाल करें, जो ईमेल अकाउंट बनाए बिना ही संदेश भेजने की सुविधा देती है। यहां आपकी पहचान, लोकेशन आदि दर्ज नहीं होती, इसलिए प्राइवेसी बनी रहती है। अपनी इंटरनेट सिक्युरिटी को और पुख्ता करना चाहते हैं, तो पहले अपने मेसेज को ऊपर बताए वेब पेजों पर एनक्रिप्ट कर लें और फिर इन ईमेल सेवाओं के जरिए भेजें। ऐसी कुछ ईमेल सर्विसेज़:


कुछ देर का ईमेल
कुछ वेबसाइट्स आपको अस्थायी ईमेल अकाउंट की सुविधा देती हैं, जो कुछ देर के लिए एक्टिव रहता है। जहां आने के बाद आप 10 मिनट तक जितने चाहें मेसेज भेजें और उसके बाद अकाउंट डिलीट हो जाता है। जब आप खुद ही नहीं जानते कि आपका अकाउंट कहां गया, तो किसी और के लिए उसे खोजना नामुमकिन है। ऐसी ही एक ईमेल सर्विस है http://10minutemail.com

पर्सनल सर्वर
यदि आप कोई इंस्टिट्यूट चलाते हैं, जिसमें कई लोगों के ईमेल अकाउंट मौजूद हैं तो फ्री वेब मेल सर्विस के बजाय पर्सनल ईमेल सर्वर भी स्थापित कर सकते हैं, ताकि आप के सभी ईमेल मेसेज हिफाजत में रहें।

अगर न अपना सकें ये ऑप्शंस
यदि आप इनमें से किसी ऑप्शन को आजमाने की स्थिति में नहीं हैं, तो कम से कम अपने ईमेल मेसेज्स को जीमेल और याहूमेल के सर्वर पर स्टोर रखने के बजाय कंप्यूटर में डाउनलोड करना शुरू करें। यह पूरी तरह सुरक्षित तो नहीं है, लेकिन एकदम असुरक्षित होने से बेहतर है। ईमेल को डाउनलोड करने के लिए ईमेल क्लाइंट सॉफ्टवेयर का प्रयोग करें, जैसे विंडोज लाइव मेल, आउटलुक, मोजिला थंडरबर्ड आदि। ये सभी फ्री डाउनलोड किए जा सकते हैं।

क्लाउड भी नहीं है सेफ
आज-कल बहुत से लोग अपनी निजी फाइलों को माइक्रोसॉफ्ट स्काईड्राइव, गूगल ड्राइव, ड्रॉप बॉक्स आदि क्लाउड स्टोरेज वेबसाइटों पर सहेज कर रखते हैं। लेकिन यहां रखी पर्सनल और गोपनीय सामग्री तक सिर्फ उन्हीं की पहुंच हो, ऐसा नहीं है। एनएसए जैसी एजेंसियां जब चाहें इन्हें खंगाल सकती हैं। इन पर सहेजी जानेवाली सामग्री को एनक्रिप्ट करने के लिए http://www.cloudfogger.com/ से फ्री सॉफ्टवेयर इन्स्टॉल कर सकते हैं। आपके कंप्यूटर में इन्स्टॉल होने के बाद यह हर उस फाइल को 256 बिट एईएस पद्धति से एनक्रिप्ट कर देगा, जिसे आप क्लाउड स्टोरेज वेबसाइटों पर रखना चाहते हैं। इसी की मदद से उन्हें वापस डिक्रिप्ट करके आप इस्तेमाल कर सकते हैं। वैसे ही, जैसे जिप और अनजिप का प्रयोग करते हैं। ऐसी फाइलों को कोई अन्य शख्स डाउनलोड कर भी ले, तो पढ़ नहीं सकता।

इन्स्टैंट मेसेजिंग और विडियो चैट
गूगल चैट, स्काइप और गूगल टॉक जैसे सॉफ्टवेयर और सर्विसेज़ में प्राइवेसी सुरक्षित नहीं है, तो कोई बात नहीं। पियर-टु-पियर एनक्रिप्टेड विडियो कॉल्स के लिए स्काइप के बजाए जिट्सी (https://jitsi.org/) को डाउनलोड कर इस्तेमाल किया जा सकता है, जो किसी भी तरह की ताक-झांक के खतरे से फ्री है।

इसी तरह इन्स्टैंट मेसेजिंग के लिए एकदम सुरक्षित, फ्री चैट क्लाइंट पिडगिन (http://pidgin.im/) का इस्तेमाल करें जो सेफ तो है ही, ढेरों चैट सॉफ्टवेयर्स (गूगल टॉक, आइसीक्यू, एमएसएन, याहू आदि) का प्रयोग करने वाले यूजर्स के साथ चैट करने की सुविधा भी देता है। ऐसे ही कुछ और सॉफ्टवेयर हैं- http://bitwiseim.com/ औरhttp://projectscim.com/

हमेशा रहें अलर्ट
- अपने कंप्यूटर में अच्छा ऐंटि-वायरस और ऐंटि-स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर (जैसे नॉर्टन, मैकेफी, कैस्परस्की, ट्रेंड माइक्रो आदि) इन्स्टॉल करके रखें और अपडेट करते रहें। फ्री उपलब्ध अवास्ट (http://www.avast.com)भी बहुत अच्छा ऐंटि-वायरस है।

- इंटरनेट यूज़ करते समय ब्राउजर में मौजूद प्राइवेसी सुविधा का प्रयोग करें। प्राइवेट ब्राउजिंग से विजिट किए गए इंटरनेट ठिकानों का ब्योरा कंप्यूटर में सेव नहीं किया होता।
क्रोम में Tools->New Incognito Window
इंटरनेट एक्स्प्लोरर में Safety->In-Private Browsing
फायरफॉक्स ब्राउज़र में ​File>New Private Window

-स्थायी रूप से ब्राउजर हिस्ट्री डिलीट करने का ऑप्शन भी अच्छा है। उन्हीं वेबसाइट्स का इस्तेमाल करें जो सिक्योर सर्वर लेयर (SOL) का प्रयोग करती हैं। इनमें डेटा फ्लो एनक्रिप्टेड तरीके से होता है। ऐसी वेबसाइट्स के वेब एड्रेस की शुरुआत https:// से होती है, http:// से नहीं, जो सामान्य वेबसाइट्स पर इस्तेमाल होता है।

अब पेशाब से चार्ज हो सकेगा मोबाइल फोन! [Recharge your Mobile with Urine]


Now, human pee can charge your cell phone
लंदन।। अब मोबाइल फोन पेशाब से चार्ज किया जा सकेगा! हैरान न होइए, ब्रिटेन  साइंटिस्ट्स ने ऐसी अनोखी तकनीक खोज निकाली है। साइंटिस्ट्स का दावा है इस तकनीक से मोबाइल फोन को इंसान के पेशाब से चार्ज किया जा सकता है।

ब्रिस्टल रोबॉटिक्स लेबोरेटरी में काम करने वाले साइंटिस्ट्स ने यह 'अहम' खोज की है। खोज में उन्होंने पाया कि पेशाब के जरिए बिजली पैदा कर मोबाइल फोन को चार्ज किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ द वेस्ट ऑफ इंग्लैंड (यूडब्ल्यूई), ब्रिस्टल के एक्सपर्ट डॉ. लोएनिस लेरोपौलस ने कहा, 'हम इस बात से बेहद उत्साहित हैं कि ऐसा दुनिया में पहली बार हुआ है। किसी ने पेशाब से एनर्जी पैदा नहीं की थी। इस तरह की खोज बहुत उत्साह बढ़ाने वाली है। इस अपशिष्ट पदार्थ को बिजली पैदा करने के लिए एनर्जी के रूप में प्रयोग करना पर्यावरण के लिए भी सही है।'

लेरोपौलस ने कहा, 'पेशाब एक ऐसा उत्पाद है जो कभी भी खत्म नहीं हो सकता। इससे एनर्जी पैदा करने के लिए पेशाब को माइक्रोबियल फ्यूल सेल (एमएफसीज) के कैसकेड से प्रवाहित किया जाता है जिससे बिजली पैदा होती है। इसमें हमें प्रकृति के अनियमित ऊर्जा के स्रोतों सूरज या हवा पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।'

उन्होंने कहा कि इस तरह से चार्ज किए गए मोबाइल फोन से एसएमएस संदेश भेजने, वेब ब्राउजिंग और छोटी फोन कॉल करने जितनी ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।

Tuesday 16 July 2013

Innovation for LANAGER




Anandpur Sahib Gurudwara.. 

The Blue Drum has a bike handle at the top if it. There is also a Clutch in the Bike handle.  The clutch wire is connected with the water Tap at the bottom of the drum.  This man(Sewadar) only has to press the clutch to refill water for the thirsty. This ensures that the Sewadar doesn't need to bend down every time to pour water. ..

Success Cycle


Mandela sculpture - Brilliant !!!

 

 
Check out this fantastic Nelson Mandela sculpture below. It consists of 50 ten metre high laser cut steel plates set into the landscape, representing the 50 year anniversary of when and where Mandela was captured and arrested in 1962 (prior to his 27 years of incarceration).
Standing at a particular point (presumably the spot where the people are standing in Photo #2), the columns come into focus and the image of Mandela can be seen.
 
 
 
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AB82B4EF5847456680A0EB4713AA0107@KenPC
 
 
The sculptor is Marco Cianfanelli, of Johannesburg... brilliant, isn't it!!!

The Road to Happiness


विज्ञान की बंजर जमीन पर आविष्कार की 'फसल'

नवीन चिकारा, बागपत
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बंजर पड़ी जनपद की जमीन अब आविष्कार की फसल लहलहाने की तैयारी में है। इसके लिए माध्यम बनी हैं वर्षो पुरानी वे तकनीकें, जिन्हें उस समय ईजाद किया गया था जब अत्याधुनिक साइंस लैब अस्तित्व में नहीं थीं। जनपद के शिक्षण संस्थानों में साइंस लैबों की दयनीय हालत के बीच कुछ गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा विद्यार्थियों को प्रायोगिक तौर पर समृद्ध करने की कवायद रंग लाने लगी है। फ्रांस की अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट ऐराथोस्थेनीज डॉट कॉम पर बागपत जनपद को न सिर्फ जगह दी गई है, बल्कि यहां कराए जा रहे विभिन्न प्रयोगों के डाटा भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शेयर किये जा रहे हैं।
प्रगति विज्ञान संस्था ने उठाया बीड़ा
मेरठ की संस्था प्रगति विज्ञान प्रदेश भर में विज्ञान से जुड़े प्रयोग करा रही है। इस संस्था द्वारा जनपद के विभिन्न स्कूलों, कालेजों में आओ प्रयोग करें अभियान के माध्यम से 2200 ईसा पूर्व ईजाद किए गए ऐराथोस्थनीज सिद्धांत के जरिए जटिल खगोलीय गणनाओं को सरलतम तरीके से सिखाया जा रहा है। संस्था के जिला समन्वयक योगेश कुमार बताते हैं कि एराथो प्रयोग के अलावा यह संस्था विज्ञान आओ करके सीखें, मॉडल रॉकेट बनाना, कठपुतलियों के माध्यम से विज्ञान का प्रसार, खाद्य पदार्थो में मिलावट जांच के लिए प्रशिक्षण, विज्ञान के चमत्कारों की व्याख्या के लिए सेमिनार, जैविक खाद्य बनाने का प्रशिक्षण, खगोलीय गतिविधियों से आमजन को जोड़ना आदि गतिविधियों का आयोजन करा रही है। ताकि रूट लेविल पर वैज्ञानिक नजरिए को विकसित किया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट पर ऑनलाइन
फ्रांस की अंतरराष्ट्रीय वेबसाइट ऐराथोस्थेनीज डॉट कॉम पर क्लिक करने पर दा मेजर अर्थ आप्शन खोलने पर अगल-अलग देशों में हो रहे ऐराथो प्रयोग के डाटा सर्च किए जा सकते हैं। बागपत इस वेबसाइट पर सन् 2011 से ऑनलाइन हो चुका है। प्रगति विज्ञान द्वारा बागपत में कराए जा रहे प्रयोगों से प्राप्त डाटा को इस वेबसाइट पर डाला जा रहा है।
इंटरनेशनल सिटीजन साइंस प्रोजेक्ट से जुड़ रहे विद्यार्थी
अपने स्कूल में किए गए प्रयोग के बाद एकत्र किए गए डाटा के माध्यम से विद्यार्थी इंटरनेशनल सिटिजन साइंस प्रोजेक्ट से सीधे तौर जुड़ जाते हैं। विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से देश-विदेशों के प्रयोगकर्ताओं से सीधे बातचीत कर सकते हैं और अपने डाटा को मैच कर सकते हैं।

आविष्कार दे रहे हैं मौत!

बागपत। कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है। अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए लोगों ने नए-नए जुगाड़ लगाए। इसमें कुछ सफल हुए, लेकिन अधिकतर ने कई जिंदगी निगल लीं। ऐसे ही कुछ हादसों की 'दैनिक जागरण' ने पड़ताल की।
केस-1
वर्ष 2007 में बड़ौत कोतवाली के बावली गांव में भट्ठा मजदूर राहुल पुत्र मांगे ने एक देशी प्रेस बनाया, जिसे देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा था। इसमें एक छोटे से लोहे के तवे पर उसने हीटर का एलीमेंट फिट किया और उसके ऊपर लोहे की हैंडिल लगाई। महज तीन दिन बाद ही शर्ट प्रेस करते समय करंट से उसकी मौत हो गई।
केस-2
इस तरह की घटना बड़ौत के पठानकोट मोहल्ले में भी करीब दो वर्ष पूर्व हुई। रोजुद्दीन के 21 वर्षीय पुत्र शमशाद ने बिजली का पुराना मीटर लिया और उसमें चिप के जरिए सीडी प्लेयर की एलसीडी लगाई, ताकि उसे डिजीटल मीटर बनाया जा सके। उसने जैसे ही स्विच ऑन किया उसमें विस्फोट हो गया। इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया और सप्ताहभर बाद उसकी मौत हो गई।
केस-3
सरूरपुर खेड़ी गांव में वर्ष 2003 के आसपास किसान राजेंद्र सिंह ने खेत में कीड़ों को मारने के लिए चूहों की दवा, यूरिया और अन्य कई पेस्टीसाइड्स को मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया। जब उसने खेत में छिड़काव किया तो वह मिश्रण पानी में घुलकर उल्टा असर कर गया। उसकी तीव्र दुर्गध के कारण राजेंद्र सिंह खेत में ही बेहोश हो गया और चंद मिनटों में उसकी मौत हो गई।
केस-4
लायन सरूरपुर गांव में बीटेक के एक छात्र ने बल्ब का फिलामेंट लेकर उससे पानी गर्म करने की रॉड बनाने का प्रयास किया। उसका कहना था कि वह दुनिया की सबसे छोटी रॉड बनाएगा, न तो करंट लगेगा और न ही पानी गर्म होने में अधिक समय लगेगा। खेत में प्रयोग करते समय उसका हाथ बिजली के तार से छू गया, जिससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई।
अधिकारी बोले..
'मेरे ख्याल से इस तरह के बेतुके आविष्कार करना गलत है। जब तक मनुष्य को किसी चीज के बारे में सही जानकारी न हो जाए उससे खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। इन मामलों से प्रतीत हो रहा है कि इन्हें अधिक जानकारी नहीं थी।'
एके गुप्ता, एसई, बागपत

अविष्कारक हामिद दिल्ली में होंगे सम्मानित

पिलाना (बागपत)। हवा से कार चलाकर प्रतिभा का परिचय देने वाले रोशनगढ़ निवासी हामिद हुसैन को देशभक्त सेना ट्रस्ट दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित करेगी। देशभक्त सेना ट्रस्ट द्वारा शहीदों की याद में दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में अमर गाथा एवं श्रद्धासुमन कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। 10 दिसंबर को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में रोशनगढ़ निवासी हवा से कार चलाने वाले हामिद हुसैन को अन्य विशिष्ट लोगों के साथ सम्मानित किया जाएगा। इस दौरान हामिद को नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा। ट्रस्ट के निदेशक अनिल वशिष्ठ ने बताया कि इसमें विभिन्न क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले लोगों को बुलाया गया है। इसके साथ ही सभी गांवों के प्रधान, सदस्य, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, विधायक, सांसद व समाज सेवी भी शिरकत करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता ट्रस्ट के चेयरमैन मनोज वशिष्ठ व जिला पंचायत सदस्य प्रियंका वशिष्ठ करेंगी।

http://www.jagran.com/uttar-pradesh/bagpat-8581342.html

हवा में गुम हुआ हामिद का आविष्कार

बागपत : गांव से पलायन कर चुका बसौद गांव के हामिद का आविष्कार हवा में गुम हो गया है। प्रदेश सरकार से निराशा मिलने के बाद अब उसने केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाया है। हवा के इंजन को पेटेंट कराने के लिए अब तक वह तमाम अधिकारियों से गुहार लगा चुका है।
हामिद ने 22 साल के अथक प्रयास के बाद हवा से चलने वाला इंजन बनाया है। वह कई बार इंजन को पेटेंट कराने की मांग कर चुका है। जिला प्रशासन समेत आलाधिकारियों से वह दर्जनों बार इंजन को पेटेंट कराने की मांग कर चुका है। प्रदेश सरकार से भी गुहार लगाई, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। अब उसने केंद्र सरकार से इंजन को पेटेंट कराने की गुहार लगाई है।
हामिद के मुताबिक, यदि इंजन पेटेंट न हुआ तो वह बर्बाद हो जाएगा। लाखों रुपये खर्च करके उसने इंजन को बनाया है। चेताया कि यदि इंजन पेटेंट नहीं होता है तो वह कलक्ट्रेट पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर देगा।