Total Pageviews

Thursday 3 December 2015

IIT कानपुर के स्‍टूडेंट को गूगल ने दी 1 करोड़ 60 लाख की नौकरी

IIT कानपुर की एक इंजीनियरिंग स्‍टूडेंट की लॉटरी निकली है। IIT के कैंपस सेलेक्‍शन में बीटेक-एमटेक स्‍टूडेंट को दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल ने सालाना 1 करोड़ 60 लाख रुपए सैलरी पैकेज ऑफर किया है। ये सैलेरी पैकेज अब तक का सबसे बड़ा बताया जा रहा है। इससे पहले एक इंजीनियर स्‍टूडेंट को 1 करोड़ 40 हजार का पैकेज मिला था।
पहले दिन 165 और दूसरे दिन 300 स्टूडेंट्स को मिली जॉब
IIT कैंपस सेलेक्शन के दूसरे दिन ही 300 से ज्यादा स्टूडेंटों को सफलता मिली और सबको अच्छे पैकेज के साथ जॉब मिल गई। इससे पहले दिन 165 स्टूडेंट्स को जॉब मिली थी। इस बाद दुनिया के बड़े-बड़े देशों की मल्टीनेशनल कंपनियों ने IITians के सेलेक्शन में इंटरेस् दिखाया। इसमें सबसे ऊपर गूगल रहा जिसने प्रतिमाह 13 लाख 30 हजार रुपए से ज्यादा का पैकेज पर जॉब दिया।
90 फीसदी स्टूडेंट्स को मिलेगी जॉब
IIT के मुताबिक एमडैस के स्टूडेंट्स को अच्छा प्लेसमेंट मिलने वाला है। इस ब्रांच की बड़ी कंपनियां रिटेन टेस्ट, ग्रुप डिस्कशन (जीडी) और पर्सनल इंटरव्यू (पीआई) करने रही हैं। बीटेक, एमबीए और रिसर्च स्कॉलर को अच्छे जॉब ऑफर मिले हैं। इस बार 1400 स्टूडेंट्स का प्लेसमेंट होना है। जिसमें 90 फीसदी स्टूडेंट्स को जॉब मिल जाएगी। 10 फीसदी स्टूडेंट हायर एजूकेशन या फिर रिसर्च करने लगते हैं।
किडनैपिंग के डर से नाम का खुलासा नहीं
IIT ने बताया कि मल्टीनेशनल कंपनियों में अच्छी सैलेरी पर जॉब करने वाले स्टूडेंट्स के नाम का  खुलासा डर की वजह से नहीं किया जा रहा है। IIT प्रशासन का कहना है कि 2013-14 के कैंपस सेलेक्शन के दौरान जिस स्टूडेंट को अच्छा वेतन पैकेज मिला था, उसके भाई का अपहरण हो गया था। इसलिए इस बार खास सावधानी बरती जा रही है।


Tuesday 1 December 2015

Grow native varieties of paddy, farmers urged

The native varieties of paddy, which are endowed with medicinal qualities and are rich in nutrients, enjoy great demand in urban markets. Farmers engaged in the cultivation of native varieties of paddy should learn the skills to market their produce, said Krishnaprasad of Sahaja Samrudha organisation.
‘Bhatha Vaibhava,' a programme to enlighten farmers on the need to conserve native varieties of paddy, was held on the farm of Jagadeesh Nailk where 32 native varieties of paddy were grown at Malavagoppa near here on Wednesday.
Dr. Krishnaprasad said that as the high cost of production had pushed farmers cultivating hybrid varieties of paddy to the debt, it was time for farmers to shift to cultivating native varieties of paddy in natural farming method. Rice produced from native varieties of paddy was rich in fibre content and medicinal values. As a chunk of the population in urban areas was suffering from ailments such as diabetes, hypertension, digestion problems, and the rice produced from native varieties of paddy enjoy great demand there.
Farmers engaged in natural farming should form a conglomeration of their own, and release their produce to the market under a brand name. Instead of selling paddy at a low price, farmers should convert it into rice and market it in a proper way to get additional income. The self-help groups in the villages could undertake value addition on the rice produced from native paddy varieties cultivated in organic farming method, he said.
The State had more than 3,000 varieties of native paddy which were known for their unique taste, aroma, adaptability, and medicinal value. He apprehended that the western farming method had posed a threat for the very existence of native paddy varieties.
Karnataka Rajya Raitha Sangha working president K.T. Gangadhar, who inaugurated the programme, demanded the Government to fix scientific price for the agriculture produce. The western farming practices, which were promoted in India to enhance the food production, had proved to be detrimental to the interests of farmers. He pressed the Government to convert the agriculture loans into incentive for food production.
The programme was organised by the Department of Agriculture in association with Sahaja Samrudha forum and Bhatha Ulisi Andolana. Leader of Raitha Sangha H.R. Basavarajappa was present.


Monday 30 November 2015

कानपूर की नूरजहां जिन्होंने जीता पीएम मोदी का दिल

आपने ये तो सुना ही होगा कि नेक सोच और अच्छी नीयत वाले लोगों को दुनिया सलाम करती है और ऐसे लोगों को हज़ारों लोगों की दुआएँ भी मिलती हैं। ऐसी ही नेक सोच रखने वाली नूरजहां जी हैं जो कानपूर देहात के शिवली गांव में रहती हैं। इन्होंने आम लोगों के साथ-साथ पीएम मोदी का भी दिल जीत लिया है। नूरजहां जी ने अपने घर में सोलर प्लांट लगाए हैं और करीब 50 घरों को बिजली देकर उनके घरों को रोशन करती हैं। नूरजहां जी 55 वर्ष की हैं और तीन साल पहले श्रमिक भारती संस्था के सहयोग से अपने घर के बाहरी कमरे में छोटा सोलर प्लांट लगाया, जिसके पाँच पैनल घर की छत पर लगाए गए हैं। वह इसी सोलर प्लांट से सौर लैंप चार्ज करके आसपास के पाँच गाँवों के 50 घरों में उजाला करती हैं।
29 नवंबर,2015 को रविवार के दिन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने उनके रेडियो कार्यक्रममन की बातमें नूरजहां जी की प्रशंसा करते हुए कहा कि गांव में उनके द्वारा किराये पर सौर लैंपों का दिया जाना अब उन लोगों के जि़ंदगी के जीने का तरीका बन गया है। कुछ आम लोगों का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कुछ लोग उर्जा दक्षता और उर्जा संरक्षण की दिक्षा में अपने तरीके से योगदान दे रहें, इसी प्रकार नूरजहां जी ज्यादा शिक्षित नहीं हैं और ही वह अपने बच्चों को ज्यादा पढा़ पाई हैं लेकिन फिर भी उन्होंने अपने घर में एक सोलर प्लांट लगाया है। मोदी जी ने बताया कि उनके 5 बेटे और 1 बेटी है। चार बेटे किसी के खेत में मज़दूर हैं जबकि एक बेटे इशाक की गांव में नाई की दुकान है। बेटी की शादी हो गई है और नूरजहां जी अपने 5 बेटों, 4 बहुओं और 8 पोता-पोतियों के साथ कच्चे घर में रहती है।
इस पर नूरजहां जी ने कहा कि उन्हें इस बातत की बेहद खुशी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने उनकी प्रशंसा की और उनके द्वारा अपने बारे में प्रशंसा भरे शब्द सुनना उनके लिए एक सुखद आशचर्य के रूप में है।
नूरजहां जी बताती हैं कि करीब 25 वर्ष पहले उनके पति सज़ादी अली की मृत्यु हो गई थी। तब उन्होंने मज़दूरी का काम किया जिसके लिए उन्हें 10 रूपये प्रतिदिन प्राप्त होते थे तब वह अपने बच्चों को चटनी और सूखी रोटी खिलाकर कर ही उनका पेट भरती थी। नूरजहां जी बताती हैं कि जब उनके पति की मृत्यु हुई तो वह सोचती थी कि वह किस प्रकार अपने छोटे-छोटे बच्चों को किस प्रकार पालेंगी क्योंकि उनके पास कोई ज़मीन भी नहीं थी।
उन्होंने बताया कि उन्होंने यह सोलर प्लांट लगवाया तो प्रारंभ में वह इन सोलर लालटेनों का इस्तेमाल स्वयं अपने घर के लिए करती थीं। लेकिन जब उन्होंने सौर लैंपों को किराये पर देना शुरू किया तो संस्था ने उन्हें प्रोत्साहित किया और उन्हें और लालटेन दे दिये। आज नूरजहां जी के पास 50 सोलर लालटेन हैं और संस्था ने  उन्हें 5 सोलर पलेट भी दी हैं।
नूरजहां बताती हैं कि उनके आसपास के गांवों में शाम को बिजली मिलना बड़ा मुश्किल होता है। इसलिए वह 50 घरों में इन्हीं सोलर लालटेन से उजाला फैलाती हैं। सुबह लोग यहां लालटेन लगा जाते हैं और शाम को अपने घर ले जाते हैं। इसके बदले वह 100 रुपये महीना लेती हैं। एक बार लालटेन चार्ज होने पर 6-7 घंटे तक रोशनी देती है। उन्होंने बताया कि उनका जीवन बेहद गरीबी में गुजरा है। वह अपना जीवन समाज की सेवा में गुजारना चाहती हैं। नूरजहां का कहना है कि साधन-संसाधन मिलें तो वह हजारों घरों में इसी तरह की रोशनी फैलाना चाहती हैं। श्रमिक भारती संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राकेश पांडेय ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनके काम तारीफ की है, जो हमारे और पूरे गांव के लिए सम्मान की बात है।
भाजपा कानपुर नगर के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी और तमाम भाजपाई उनके घर पहुंचे और नूरजहां को शाॅल नरेंद्र मोदी के फोटो वाली घड़ी भेंट देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि वह नूरजहां की बदहाली दूर करने के लिए प्रयास करेंगे तथा उनके हर काम में संभव मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे। नूरजहां जी ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई प्रशंसा से उन्हें कुछ वित्तीय सहायता प्राप्त हुई तो वे इन 50 सोलर लालटेनों की संख्या बढ़ाकर 100 कर देंगी। नूरजहां जी का कहना है कि उनके गांव में रात को ज्यादा बिजली नहीं आती और इसलिए सोलर लैंप की मांग अधिक से अधिक बढ़ रही है और इसलिए लोग अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए रात के दौरान इस सोलर लैंपों को सुनिश्चित करवाना चाहते हैं।