एक रेडियो स्टेशन जिसकी कमान है गांव की बेटियों के हाथ में
पिछले दिनों आपने पगडंडी पर मुजफ्फरपुर के गांवों की उन लड़कियों की कथा
पढ़ी थी जो अपना वीडियो न्यूज कैप्सूल और अखबार निकालती हैं. उसी कड़ी में
इस बार हमारे पर आपके लिए उन लड़कियों की कहानी है जो एक रेडियो चैनल को
संचालित करती हैं. यह रेडियो स्टेशन बुंदेलखंड के ललितपुर जिले में संचालित
होता है. इस रेडियो स्टेशन में रिपोर्टर, प्रेजेंटर और फील्ड कोऑर्डिनेटर
सब लड़कियां ही हैं. अति पिछड़े और पुरुष वर्चस्व वाले इलाके में इन
बेटियों ने कैसे इस असंभव काम को अंजाम दिया आइये इसकी कथा पढ़ते हैं.
उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त हिस्से बुंदेलखंड के ललितपुर जिले
में एक ऐसा रेडियो स्टेशन संचालित हो रहा है जिसकी कमान जिले की बेटियों के
हाथ में है. राज्य के इस पहले कम्युनिटी रेडियो 'ललित लोकवाणी' की
कर्ताधर्ता रचना, उमा और विद्या नाम की लड़कियां हैं. रूढ़िवादी सोच वाले
क्षेत्र से ताल्लुख रखने वाली इन बेटियों की आवाज आज ललितपुर के हर कोने
में सुनी जाती है. 'ललित लोकवाणी' नामक कम्युनिटी रेडियो की शुरूआत साल
2007 में की गई थी और शुरुआत में इसका संचालन सिर्फ ललितपुर के कुछ गांवों
में ही किया जाता था. इस स्टेशन को साल 2010 में वायरलैस आपरेटिंग लाइसेंस
मिल गया था और अब यह 90.4 मेगाहर्ट्ज पर ललितपुर के अलापुर कस्बे के 15
किलोमीटर के दायरे में स्थित गांवों में आसानी से सुना जाता है.
रेडियो जॉकी रचना
रचना बताती हैं कि कम्युनिटी रेडियो में काम करने के बाद वो एक
अलग शख्सियत बन गई हैं और अब उन्हें ललितपुर के रेडियो स्टेशन के जरिए
अपने श्रोताओं से बात करना काफी अच्छा लगता है. पूरे गांव के लिए रोल मॉडल
बन चुकी रचना यह बताना नहीं भूलती कि उन्हें वह दौर अब भी याद है जब उन्हें
घर के किसी पुरुष सदस्य के बगैर घर के बाहर जाने की भी अनुमति नहीं थी.
ललितपुर के बिरदा ब्लॉक के अलापुर में स्थित इस रेडियो स्टेशन में आकर काम
करना उन्हें अच्छा लगता है. उन्हें अब भी विश्वास नहीं होता है कि वो एक
रेडियो प्रोग्राम की रेडियो जॉकी बन चुकी हैं. वे अपने श्रोताओं से शिशु और
मातृत्व मृत्यु दर जैसे मुद्दों पर बात करती हैं, जिससे उनका समुदाय काफी
हद तक पीड़ित है.
रिपोर्टर उमा यादव हैं पांच बच्चों की मां
5 बच्चों की मां और कम्युनिटी रेडियो के 12 रिपोर्टरों में से
एक उमा यादव की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. वो बताती हैं कि अभी तक गांव की
कोई भी बहू महिलाओं से जुड़े मुद्दों की पत्रकारिता करने, उनकी रिकॉर्डिंग
करने और उसके समाधान करने जैसे कामकाजों में हिस्सा नहीं लिया करती थी. उमा
ने बताया कि उन्हें भी शुरुआत में तकलीफों का सामना करना पड़ा, यहां तक कि
उनके परिवार ने तो पहले उन्हें इस काम को करने की इजाजत नहीं दी, लेकिन
बाद में जब उन्हें अहसास हुआ उनका काम कितनी जागरूकता वाला है, तब जाकर वो
थोड़ा नरम हुए और मुझे इसकी इजाजत दी. अपने काम को लेकर उमा कितनी कमिटेड
के इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अपने घर के नियमित
कामकाज निपटाने के बाद करीब तीन किलोमीटर का पैदल सफर तय कर अपने अलापुर
स्थित रेडियो स्टेशन पहुंचती है और अपना शो होस्ट करती है, जहां वो महिलाओं
और बच्चों से जुड़े तमाम मुद्दों पर बात करती हैं.
80 गांवों में सुना जाता है ललित लोकवाणी
रचना और उमा यादव उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले की नई संचार
क्रांति का अहम हिस्सा हैं. 'ललित लोकवाणी' राज्य का पहला का पहला
कम्युनिटी रेडियो स्टेशन है, जिसमें ये दोनों बखूबी काम कर रही हैं. अब
ललित लोकवाणी ललितपुर के हर कोने में सुना जाता है. इस कम्युनिटी रेडियो
स्टेशन का उद्घाटन ललितपुर के जिला मजिस्ट्रेट रनवीर प्रसाद और भारतेंदु
नाटक अकादमी के संयुक्त निदेशक जुगल किशोर, जो खुद थियेटर की जानी मानी
शख्सियत हैं ने किया था. आज यह ललितपुर के 80 गांवों में सुना जाता है. इस
रेडियो की सबसे खास बात यह है कि यह महिलाओं को प्रेरित करता है कि वो
रिपोर्टिंग और एंकरिंग जैसे क्षेत्रों में कदम रखकर महिलाओं से जुड़े
मुद्दों पर अन्य महिलाओं को जागरूक करने का प्रयास करें.
पहले मजाक उड़ाते थे मर्द
25 साल की ग्रेजुएट शिल्पी यादव, जो ललित लोकवाणी में फील्ड
को-आर्डिनेटर हैं बताती हैं कि शुरुआत में महिलाओं को यह समझाना काफी
मुश्किल था कि वो हमारे कार्यक्रम को सुनें. उन्होंने बताया कि हमने छोटे
स्तर से शुरुआत की. शिल्पी ने बताया कि पहले हम गांव-गांव जाकर लोगों के
समझाते थे और उनसे कहते थे कि वो उनके साथ आएं और पंचायत भवन में आकर उनके
कार्यक्रम को सुनें. उन्होंने बताया कि इस दौरान गांव के मर्द हमें घेरे
रहते थे और हम रेडियो पर जिन मु्द्दों पर बात करते थे वो हमारा मजाक उड़ाया
करते थे. उन्होंने बताया कि जल्द ही गांव के मर्दों को समझ में आ गया कि
हम उनके भले की ही बात करने वाले हैं, इसलिए उन्होंने तंग करना छोड़ दिया
और हालात आज यह है आज गांव के पुरुष भी हमारे कार्यक्रम को इत्मिनान के साथ
सुनते हैं.
रामकृष्ण ऑडियोसिन्स मीडिया कंबाइन ने इस रेडियो स्टेशन के 15
सदस्यों को तैयार किया है. इस संगठन ने बताया कि कम्युनिटी रेडियो एक ऐसा
सशक्त माध्यम है जिसके जरिए लोगों को यह मौका मिलता है कि वो सरकार के साथ
सीधे बात कर सकें. संगठन ने बताया ऐेसे में जब हम अभी सीमित दायरे में काम
कर रहे हैं उसके बावजूद हम बेहतर काम कर रहे हैं और साथ ही हमें ललितपुर के
लोगों की कुशलता बढ़ान के लिए भी बखूबी काम कर रहे हैं. इस रेडियो से
जुड़ी एक अन्य सदस्या बताती हैं कि कम्युनिटी रेडियो के जरिए बेहतर तरीके
से समाजिक बदलाव लाया जा सकता है. यह माताओं, बेटियों, बहनों को सामाजिक,
शारिरिक और मानसिक स्तर पर मजबूती दे सकता है. साथ ही रेडियो के जरिए
महिलाओं अपनी भावी भूमिकाओं के लेकर भी बेहतर निर्णय कर सकती हैं.
(साभार- अमर उजाला)
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