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Sunday 16 April 2017

कम्युनिटी सपोर्टेड एग्रीकल्चर सहभागिता की एक नयी उड़ान

साथियों पोषण और चिकित्सा विज्ञान हमें अपनी रौशनी में नित नये नये राज लगभग पिछली दो सदियों से लगातार बताते आ रहा है , लेकिन हमारी सेहत निरंतर गिरती जा रही है | फ़ूड टेक्नोलॉजिस्ट होने के नाते मेरे अंदर से आवाज आती है के अपने साथियों और मिलने जुलने वालों वालों को इस मुद्दे पर गहनता से विचार करने में मदद करूँ आखिर हम अपने जीवन के समस्त क्रियाकलाप करते किस लिए हैं : शांति से रोटी खाने के लिए और चैन से सोने के लिए | व्यवस्था  ने  हमारे और किसान के बीच में एक अपारदर्शी काले घने अंधेरों से युक्त  एक प्रणाली विकसित कर दी है जिसे हम बाज़ार कहते हैं | ये रंग बिरंगे खाने के बाज़ार असल में हमारे और किसान दोनों के बीच में अज्ञानता और कन्फ्यूजन की खाई को चौड़ा करते जा रहे हैं | नतीजा किसान भी मर रहा है और लोग भी मर रहे हैं |

उदहारण के तौर पर हम अपने हर रोज के भोज्य पदार्थों को ही लें जैसे :
1) दूध  2 ) आटा  3) सब्जियां 4 ) फल

दूध जो ये थैलियों वाला हम पीते हैं असल में ये दूध है ही नहीं यह रिकोंसटीटयूटीड स्टैण्डर्डडाईज्ड मिल्क होता है जिसे इम्पोर्ट किये गए पाउडर और बटरआयल  को पानी में मिला कर तैयार किया जाता है इसमें शगुन के तौर पर फ्रेश मिल्क भी मिलाया जाता है और फिर थैलियों में भर कर हमें दे दिया जाता है |  मेरी समझ में यह नहीं आता कि जब हमारा मुल्क 1947 में आजाद हुआ था तो हमारी जनसँख्या 30 करोड़ थी और पशुधन 43 करोड़ था आज हमारी जनसँख्या 125 करोड़ है और हमारा पशुधन 13 करोड़ फिर हम दुग्ध उत्पादन में नंबर 1 कैसे हो सकते हैं |  ये रिकोंसटीटयूटीड स्टैण्डर्डडाईज्ड मिल्क ही फ्रेश मिल्क की कीमतों को कण्ट्रोल किये हुए है | देसी गाय का दूध जैसा कोई अमृत पदार्थ इस जगत में दूसरा नहीं है | यह कोई बहस का मुद्दा ही नहीं है इस बात को भारत का जन अच्छे से जानता है | आज हजारों लाखो रुपये प्रतिमाह कमाने वाले लोग भी अपने खाने के सामान को खरीदने के लिए मार्किट जाते हैं और वहां पर इंडस्ट्रियल एग्रीकल्चर से पैदा किया हुआ जेहर बुझा समान उठा कर ले आते हैं |

मशरूम जिसका एक पैकेट लगभग 30 रुपये का मिलता है , जिस किसान के पास कम्पोस्ट को पास्छुराइज करने की सुविधा नहीं है वो अपना समय बचाने के लिए कम्पोस्ट में फ्यूराडान मिला देता है जोकि एक बहुत खतरनाक किस्म का जेहर है |मशरूम उस जेहर को अपने अंदर सोख लेती है और जहर सीधे आपकी प्लेट में आ जाता है | अब भाई बाज़ार से मशरूम लाओगे तो यह रिस्क बना ही रहेगा हमेशा | आओ बात करें गोभी की , ऑफ सीज़न गोभी चालीस से पचास रुपये किलो बिकने लगती है |  प्रकृति ऑफ सीज़न गोभी को नष्ट करने के लिए कीड़े भेज देती है | बजार से पैसा मिलने की उम्मीद में किसान "कोराजन" नमक जहर गोभी पर स्प्रे करना शुरू कर देता है और किसी तरह से फसल बचा कर मंडी में ला कर दे देता है | किसान को बहुत अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं और सबसे बड़ी बात उसकी सेहत सबसे पहले रिस्क में आती है | आपकी और हमारी सेहत की चिंता करने का फर्ज़ किसान का नहीं बनता क्यूंकि हमने कभी भी किसान की चिंता नहीं की | हम बाज़ार पर ज्यादा विश्वास करने लग गये और हमारे किसान देवता हमारे प्यार को तरसते हुए सूखने लग गए |

आज बाज़ार ने हर एक जगह हमारा तेल निकालने का  कोल्हू फिट किया हुआ | आप क्या समझते हैं चीनी खाने से शुगर   की बिमारी होती है जी नहीं रासयनिक दवाओं से लदी सब्जियां खा  खा कर हमारे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना छोड़ जाते हैं और नतीजा शुगर कैंसर और पता नहीं क्या क्या |

हम में से जो जो बाज़ार से थैली का आटा ले कर आ रहे हैं वो चाहे कोई मोड्डा बनाओ चाहे कोई देसी या विदेशी लाला उसमें चोकर छोड़ने का ही नहीं | दोस्तों निरी गेहूं खा खा के भी हमारा नास वैसे ही हो लिया है | आटे में बहुत दिमाग लगाने की आवश्यकता है |

अब बात आती है के करें क्या , इसके लिए अपने आस पास लोगों से बातचीत करें और लाइक माइंडेड लोग ढूंढें और अपने शहर के आसपास खेती करने वाले किसानो से मिलें और उनसे बातचीत करके दोस्ती बढ़ाएं | फिर उन्हें सपरिवार या तो अपने घर बुलाएं या सपरिवार उनके घर जायें और उनसे बैठ कर दूध , घी आटे और सब्जियों के उत्पादन पर बात चीत करें | आपने स्कूल कोलेज में इक्नोमिक्स और कॉमर्स का ज्ञान प्राप्त किया है उसका प्रयोग करके किसान के लिए एक बिजनेस मॉडल बना कर दें | ध्यान रखें किसान के लिए तो ये सिर्फ बिजनेस मॉडल हो सकता है लेकिन यह आपके लिए और आपके बच्चों के लिए जीवन रेखा है | यदि आपको अपने परिवार के साथ बिताने के लिये दस साल और मिल जाते हैं तो बताइए आप कितने पैसे खर्च करना चाहेंगे|

किसानो को फलदार वृक्ष लगाने के लिए भी प्रोत्साहित कीजिये | इन्टरनेट के इस्तेमाल से किसान साथी का ज्ञान बढाने का भी प्रयास कीजिये | मैं पिछले 1 वर्ष से किसानों को कम्पनियों के तौर पर संगठित करने में जुटा हूँ अब समय आ गया है कि किसान कम्पनियों के साथ साथ उपभोक्ता भी एक मंच पर संगठित हों और किसान और उपभोक्ता मिलकर अपना अलग सिस्टम विकसित करें बाज़ार से हट कर |

मेरा मोबाइल नंबर 9992220655 है यदि इस विषय पर कोई साथी मुझ से चर्चा करना चाहता हो तो बातचीत के लिए स्वागत है |

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