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Sunday 16 April 2017

सोशल मीडिया और देश निर्माण में आम आदमी की भूमिका

साथियों आजकल लगभग हर कोई  व्यक्ति सोशल मीडिया के बारे में एक हल्की राय रखता है , मैं भी कई बार् कुछ लोगों की पोस्ट देख कर झुंझला उठता हूँ और कह बैठता हूँ के फेसबुक से किनारा कर लेना ही बेहतर है | दोस्तों समय की गति का फल है कि आज हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर चुके हैं जहाँ एक पल में हजारों पलों को जीने का मज़ा ले पा रहे हैं | सूचनाएँ एक पल में कहीं से कहीं पहुँच रही हैं | ऐसे में प्रकृति से प्रेम करने करने वाले और परमात्मा की मौज में रहने वाले नागरिकों के पास स्वर्णिम अवसर है के वो अपने मन की रौशनी से इस देश के माहौल को जागृत करें , इसकेलिए उन्ह सबसे पहले अपने मन के खिड़की दरवाजे खोलने पड़ेंगे | हमारे चारों  और जो भी अच्छा घटित हो रहा है उसे अभिलेखित करके फोटो सहित एक दुसरे से शेयर करके हम खुशियों और ऊर्जा को एक दुसरे से बाँट सकते हैं | मैंने यह महसूस किया है कि बांटने से ऊर्जा बढ़ जाती है | मुझे ऐसा लगता है कि समय की गतिशीलता से मिले इस अनुपुम उपहार (सोशल मीडिया ) के जरिये हम एक दुसरे से जुड़ कर थोड़े थोड़े रंग आपस में बांट कर एक दुसरे के जीवन में रंग भर देंगे | सभी भस्मासुर और समाज का नाश करने वाले या तो सूख जायेंगे या फिर समय के फेर में आगे बढ़ जायेंगे | मैं लगातार परमात्मा की बनाई इस दुनिया में से जो कुछ मुझे अच्छा और प्यारा मिलेगा उसकी जानकारी  आपके साथ अवश्य साँझा करूँगा | आपकी बतायी हुई जानकारियों का भी मुझे बेसब्री से इंतज़ार है |

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