अजीत नारायणन, संस्थापक |
आज के समय में शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के साथ ही क्रांति आ गई है और स्मार्टफोन और टैबलेट के प्रयोग ने इसे और भी रोचक और मनोरंजक बना दिया है। विभिन्न शारीरिक अक्षमताओं और लकवाग्रस्त बच्चों को शिक्षा देने के लिये इन तकनीकी यंत्रों और एप्लीकेशन्स का इस्तेमाल हमें एक नये युग की ओर ले जा रहा है। ऐसे बच्चे जिनको बोलने में परेशानी होती है और जिन्हें छोटी-छोटी बातें समझने में काफी समय लगता है, अब उनकी समस्या का समाधान मिल गया है। एक चित्र आधारित सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन ‘आवाज़’ ने उनकी जिंदगी ही बदल दी है।
25 वाक् चिकित्सक (स्पीच थिरेपिस्ट) और 300 लकवाग्रस्त बच्चों के साथ काम करते हुए चेन्नई की इनवेंशन लैब्स की टीम ने ऐसे टेबलेट सॉफ्टवेयर ‘आवाज़’ का ईजाद किया जिसकी मदद से ये बच्चे अपने शब्दों को तस्वीरों में बदलकर दूसरों को अपने मन के भाव समझा सकते हैं। ‘आवाज़’ तस्वीरों और बढि़या क्वालिटी वाले वाइस सिंथेसिस का इस्तेमाल कर संदेश बनाता है और भाषा को बेहतर बनाता है।
इसका पूरा श्रेय जाता है इनवेंशन लैब्स के संस्थापक अजीत नारायणन को। अजीत नारायण पहले प्रसिद्ध अमरीकन मेगाट्रेड्स कंपनी में नौकरी करते थे और वर्ष 2007 में उन्होंने अपनी कंपनी शुरू की। आईआईटी चेन्नई के स्नातक अजीत ने वर्ष 2009 में गूंगे लोगों की सहायता के लिये एक संचार उपकरण बनाने के साथ ही इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए। इसके बाद उन्होंने अपनी दिशा बदली और टैबलेट और स्मार्टफोन के सॉफ्टवेयर में विशेज्ञता हासिल की।
अजीत नारायणन का कहना है कि आईपैड और एंड्रॉयड आधारित टैबलेट जैसे उपकरण विशिष्ट जरूरतों वाले बच्चों के संचार की प्रक्रिया में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहे हैं। वे कहते हैं, ‘‘यह प्रोडक्ट तस्वीरों और हाथों के संकेतों के जरिए एक दूसरे से बात करने में बच्चों की मदद करता है। वे अलग अलग तस्वीर लेते हैं, उन्हें क्रमबद्ध करते हैं, फिर ये क्रम वाक्य में बदल जाता है और फिर उसे पढ़ा जाता है।’’
इस समय ‘आवाज़’ तीन ग्रेड वाला रिसर्च आधारित शब्दकोश ऑफर करता है जिसमें मूल और अतिरिक्त शब्द विभिन्न कोटियों में इकट्ठा किए गए हैं। भारत के अलावा, इनवेंशन लैब्स अब यूरोप, अमरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित बाजारों में सॉफ्टवेयर अनुप्रयोग के लिए बेचता है। अजीत का दावा है कि डेनमार्क और इटली में सिर्फ ‘आवाज’ ही लकवाग्रस्त बच्चों के लिये मौजूद एप्लीकेशन है। इसके इस्तेमाल से माता पिता और बच्चों के जीवन में बहुत सुधार हुआ है।
अजीत आगे जोड़ते हुए बताते हैं ‘‘लकवाग्रस्त बच्चे और सुनने में दिक्कत का सामना करने वाले बच्चे खुद को अभिव्यक्त करने में बहुत मुश्किलों का सामना करते हैं। हालांकि उनके माता-पिता, रिश्तेदार और विशेष स्कूलों के शिक्षक संकेतों के जरिए उनकी अभिव्यक्ति को समझ सकते हैं, लेकिन यह उपकरण इस मुश्किल का हल करने में बहुत उपयोगी है,’’।
अपने इस काम के लिए अजित को 2011 में एमआईटी टैक्नोलॉजी की नवीन आविष्कारों की वैश्विक सूची में भी नामित किया गया था। इसके अलावा उन्हें भारत के राष्ट्रपति से विकलांगों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।
‘आवाज़’ मुख्य रूप से दो घटकों, एक स्पीच सिंथेसाइजर और उसकी सहायता से संचालित होने वाले लिखित पूर्वानुमान सॉफ्टवेयर को मिलाकर बनाया गया है। स्पीच सिंथेसाइजर को विभिन्न क्षमताओं वाले अक्षम बच्चों लिये डिजाइन किया गया है। इसमें एक 7इंच की टचस्क्रीन एलसीडी, वॉयस आउटपुट के लिये स्पीकर और ऑडियो संकेतों के लिए ऑडियो जैक, यूएसबी पोर्ट, मोनो जैक पोर्ट, रिचार्जेबल बैटरी के अलावा पहिएदार कुर्सी में लगाने का विकल्प उपलब्ध रहता है। लिखित पूर्वानुमान सॉफ्टवेयर अक्षम बच्चों को वाक्य बनाने ओर फिर उन्हें दूसरों को समझाने में मदद करता है। ‘आवाज़’ में स्कैनिंग तकनीक का इस्तेमाल कर वाक्यों को तैयार किया जाता है। यह एपलीकेशन वर्तमान में अंग्रेजी भाषा में लगभग 10000 शब्दों का समर्थन करता है। इसके अलावा इसमें बच्चे की सुविधा के हिसाब से और भी शब्दों को जोड़ा जा सकता है।
इस तरह से ‘आवाज़’ उन बच्चों की आवाज बनने में सफल रहा है जो अबतक अपनी बात दूसरों तक नहीं पहुंचा पाते थे। ‘आवाज़’ की मदद से ऐसे बच्चे अब अपने दिल और दिमाग में चल रहे विचारों को स्पीच सिंथेसाइजर के जरिये दूसरों के समाने अभिव्यक्त कर सकते हैं।
अक्षम बच्चों के माता-पिता या उनके शुभचिंतक इस एप को सिर्फ 9.99 डॉलर (5 हजार रुपये) प्रतिमाह का खर्चा करके इसका प्रयोग कर सकते हैं। इसे खरीदने से पहले अगर चाहें तो परीक्षण के लिये वे पहले इसे एक सप्ताह के लिये मुफ्त में प्रयोग कर सकते हैं।
फिलहाल ‘आवाज़’ अंग्रेजी और छह भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, लेकिन इसे और भाषाओं में भी लाने की योजना पर काम च
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