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Wednesday, 12 April 2017

अनपढ़ किसान का अनोखा अविष्कार, तैयार किया चलता-फिरता बाजार

कर्ज और गरीबी ने झकझोरा तो आवश्यकता ने ‘अविष्कार’ को जन्म दिया। किसान बलबीर ने अपनेे ट्रैक्टर-ट्रॉली को ही मल्टीटास्किंग व्हीकल बना दिया। अब यहां जूस से लेकर आइसक्रीम तक और चाय की चुस्की से लेकर बाइक वाशिंग तक की सुविधा है।


दो लाख में तैयार हुआ चलता-फिरता बाजार :

कैथल जिले के पिलनी गांव के किसान बलबीर को गरीबी और कर्ज ने इस कदर झकझोर डाला कि परिवार में दो वक्त की रोटी भी मुश्किल हो गई। सिर पर 17 लाख रुपये का कर्ज था और पास में थी सिर्फ आधा एकड़ जमीन। इससे न खेती हो पाती थी और न ही कर्ज उतर पा रहा था। आखिर में कर्ज चुकाने के लिए जमीन भी बेचनी पड़ी। इसके बाद जानकारों से थोड़े-बहुत पैसे उधार लिये और अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉली को चलते फिरते बाजार का रूप दे दिया। उसने इसे अपने हिसाब से डिजाइन कराया है। इसे तैयार करने में सवा दो लाख रुपये खर्च हुए हैं। वह आशान्वित है कि इससे परिवार की गुजर-बसर अच्छे से हो जाएगी।

ये सब है ‘बाजार’ में :
बलबीर की ट्रॉली में गन्ने का रस निकालने की मशीन, जूस कॉर्नर, आइसक्रीम पार्लर, चाय की दुकान और गाडियां धोने के लिए वाशिंग स्टेशन की सुविधा है। वह जूस और आइसक्रीम लेने वालों के वाहन भी निश्शुल्क धो देता है। ट्रॉली में ही उसने एक केबिन भी बनाया है। उसका कहना है कि अगर कहीं उसे रात को देर हो जाती है तो अंदर ही गैस चूल्हे पर खाना पका लेता है और खाकर सो जाता है। इस कमरे में उसने कूलर लगाया हुआ है।

बिजली भी अपनी :
बलबीर ने इस पूरे सिस्टम को ट्रैक्टर से जोड़ रखा है। बीच में जनरेटर रखा है, जो बिजली बनाता रहता है। गन्ने का रस निकालने की मशीन पर ही मोटर रखी है। इसी मशीन से वाहन धोने वाले पाइप में पानी का प्रेशर बनता है। बैटरी और इन्वर्टर रखा हुआ है। ट्रैक्टर के चलने से इन्वर्टर भी चार्ज होता रहता है। बलबीर ङ्क्षसह ने इसे ‘गुरु ब्रह्मानंद जूस भंडार’ नाम दिया है।

खुद तैयार करवाया डिजाइन :
बलबीर ने बताया कि ट्रॉली का यह डिजाइन उसने खुद मिस्त्री से तैयार कराया है। हालांकि शुरू में मिस्त्री ने हाथ खड़े कर दिए थे। मगर बाद में जैसे-जैसे वह बताता गया मिस्त्री वेल्डिंग करता गया। बलबीर का कहना है कि वह अनपढ़ जरूर है, लेकिन दिमाग तो है।

700 रुपये तक की हो जाती है बचत :
बलबीर के मुताबिक प्रतिदिन वह एक हजार से 1200 रुपये तक कमा लेता है। लागत निकालकर करीब 700 रुपये प्रतिदिन बचत हो जाती है। वह दिन में करीब 80 किलोमीटर का सफर तय करता है। बलबीर के परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है। उसकी बड़ी लड़की ज्योति बीए में, उससे छोटी बेटी शिवानी दसवीं में और सबसे छोटा बेटा ललित चैथी कक्षा में पढ़ता है

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