काव्या विग्नेश और उसके दोस्त डेनमार्क में रोबोटिक्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे कम उम्र की टीम में शामिल हैं। मधुमक्खियों को बचाने के अनूठे समाधान के साथ वे इस प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
"दिल्ली पब्लिक स्कूल, नई दिल्ली की क्लास 7 में पढ़ने वाली काव्या विग्नेश को आर्ट्स, डांसिंग और सिंगिग साथ-साथ रोबोटिक्स भी पसंद है। अच्छी एजुकेशन सिर्फ रोबोटिक्स के बारे में जानना ही नहीं, बल्कि वो सब कुछ करना होता है जो आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है और जिसके बारे में और अधिक जानने के लिए आप उत्सुक रहते हैं।"
12 साल की काव्या विग्नेश |
काव्या और उसकी टीम फर्स्ट लेगो लीग का हिस्सा होगी। ये एक रोबोटिक्स प्रतियोगिता है, जिसमें 60 देशों के 9 से 16 वर्ष के बीच के लगभग 200,000 बच्चे भाग लेंगे।
काव्या विग्नेश जब नौ साल की थी उन दिनों गर्मियों की छुट्टी के दौरान उसकी माँ ने उसे रोबोलैब के रोबोटिक्स क्लासेस के लिए एनरॉल करवाया और तभी से काव्या ने मुड़ कर कभी पीछे नहीं देखा। वो अपने शौक और जुनून के साथ आगे बढ़ने लगी। काव्या अब 12 साल की है और उसकी टीम सुपरकिलफ्रागिलिस्टिक्सएक्सपीआईडियोगुसीज (Supercalifragilisticexpialidocious) फर्स्ट लेगो लीग (FLL) में शामिल होने वाली भारत की सबसे कम उम्र की टीम है। यूरोपीय ओपन चैंपियनशिप (ईओसी) की ये प्रतियोगिता इस साल के मई माह में डेनमार्क में आयोजित होने जा रही है।
हालांकि टीम के नाम सुपरकिलिफ्रैजिलिस्टीक्सस्पिअडोगुसीज़ (Supercalifragilisticexpialidocious) का उच्चारण थोड़ा मुश्किल है, लेकिन काव्या के लिए यह ज्यादा कठिन नहीं है। काव्या कहती है, "ये नाम मजाक के रूप में सुझाया गया था, लेकिन हमें यह जंच गया और फिर निरंतरता बनाये रखने के लिए हमने इसे ही आगे बढ़ाया, जिसका अर्थ है- बहुत बढ़िया या अद्भुत।
डेनमार्क में प्रतिस्पर्धा के लिए, टीम को अपने प्रोटोटाइप, यात्रा और अन्य खर्चों के लिए धन की आवश्यकता है। अन्य माता-पिता के विपरीत काव्या के माता-पिता क्राउड फंडिंग के माध्यम से धन जुटाने का समर्थन करते हैं, जिसके लिए काव्या ने भी अपनी टीम के साथ मिलकर धन जुटाने का काम शुरू कर दिया है।
क्या है फर्स्ट लेगो लीग
काव्या और उसकी टीम फर्स्ट लेगो लीग का हिस्सा होगी। ये एक रोबोटिक्स प्रतियोगिता है, जिसमें 60 देशों के 9 से 16 वर्ष के बीच के लगभग 200,000 बच्चे भाग लेंगे। इसके लिए प्रत्येक देश में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय प्रतियोगिता के विजेता को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चुना जाता है, जहां दुनिया भर की टीमें एक-दूसरे के खिलाफ अपना कौशल दिखती हैं। काव्या और उनकी टीम ने टॉप 8 में अफनी जगह बनाई है और सूची में सबसे काम उम्र की टीम है। काव्या की ये टीम अब डेनमार्क में होने वाली एफएलएल-ईओसी प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। इस टीम में में 6 स्टूडेंट्स और 2 टीचर शामिल हैं और ये सभी सभी उस रोबोक्लब से जुड़े हुए हैं, जिससे काव्या नौ साल की उम्र से जुड़ी हुई है।
फर्स्ट लेगो लीग प्रतियोगिता इस तरह की टीमों को, ध्यान केंद्रित करने और अनुसंधान के लिए एक वैज्ञानिक और वास्तविक चुनौती देता है। प्रतियोगिता के रोबोटिक्स भाग में कार्यों को पूरा करने के लिए लेगो माइंडस्टॉर्म रोबोट की डिजाइनिंग और प्रोग्रामिंग शामिल है। छात्र उनको दी गई विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए काम करते हैं और फिर अपने ज्ञान को सभी के साथ साझा करने, विचारों की तुलना करने और अपने रोबोट को प्रदर्शित करने के लिए क्षेत्रीय टूर्नामेंट में मिलते हैं।
काव्या और उनकी टीम जिस परियोजना पर काम कर रहे हैं, उसे बी सेवर बॉट कहा जाता है, जो मधुमक्खियों को या मनुष्यों को नुकसान पहुंचाये बिना उन्हें सुरक्षित और सावधानीपूर्वक हटा देता है।
काव्या कहती हैं, "जब भी लोग अपने घरों में मधुमक्खी देखते हैं, तो वे कीट नियंत्रण वालों को बुलाते हैं और मधु मक्खियों के छत्तों को जला देते हैं। इससे लगभग 20,000 - 80,000 मधुमक्खियां मर जाती है। इसलिए हमने इस समस्या का एक ऐसा समाधान खोजने के बारे में सोचा जो मधुमक्खियों को नुकसान पहुंचाये बिना ही उन्हें सुरक्षित रूप से वहां से स्थानांतरित कर सके। क्योंकि दुनिया की 85 प्रतिशत से अधिक फसलों का परागण मधुमक्खियों द्वारा ही किया जाता है। भोजन का हर तीसरा टुकड़ा मधुमक्खी द्वारा परागण की गयी फसल या जानवरों (जो कि मधु मक्खियों द्वारा किये गए परागण किये गए हों) पर निर्भर करता है।"
टीम 'सुपरक्लिफ़्रॉगइलिस्टिकएक्सपिअलइडोसियस' |
अनुसंधान के एक भाग के रूप में इस युवा दल ने उत्तर प्रदेश के एक मधुमक्खी पालन व प्रशिक्षण केंद्र का दौरा किया। मधुमक्खियों के बारे में बहुत कुछ सीखा और अपने बी सेवर बॉट का निर्माण किया। बी सेवर बॉट किसी भी मनुष्य या मधुमक्खी को नुकसान पहुंचाये बिना, घरों या ऊँची इमारतों से मधुमक्खियों को हटा देता है।
प्रोटोटाइप जिस पर वे काम कर रहे हैं और जिस को मई में प्रतियोगिता के लिए तैयार होने की आवश्यकता है, वो एक क्वाडकोप्टर है। ये 3 डी कैमरे वाला एक उड़ने वाला ड्रोन है, जो हाइव (छत्ते) को स्कैन करता है और उसके आस-पास के क्षेत्र का 3 डी माप तैयार करता है, उसके बाद इस माप को एक सीएडी-सीएएम सॉफ्टवेयर में डाला जाता है जो उस एन्क्लोज़र के आकार को डिज़ाइन करता है, जिसमें कि हाइव और मधुमक्खियों को पूरी तरह से कवर किया जा सके। काव्या के अनुसार इस डिजाइन को एक लकड़ी आधारित 3 डी प्रिंटर में डाला जाता है, जो एक बायोडिग्रेडेबल, सांस लेने योग्य और पुन: प्रयोज्य बाड़े को प्रिंट कर देता है। क्वाडकॉप्टर एक बार फिर से हाइव (छत्ते) के पास जाता है और इसकी दो बाहें छत्ते को पूरी तरह से ढँक लेती है, जबकि एक तीसरी बांह एक तीखी ब्लेड का इस्तेमाल करती है ताकि दीवार के पास से हाइव को काट कर एन्क्लोज़र को बंद किया जा सके और फिर इसे निकटतम मधुमक्खी फार्म में ले जाने के लिए एक वाहन में रख दिया जाता है।
Lightning McQueen कहे जाने वाली इस लाल रंग के रोबोट का निर्माण Lego Mindstorms EV3 के साथ किया जायेगा। काव्या कहती है, “हम बड़े मोटर्स ईवी3 रंग सेंसर का प्रयोग कर रहे हैं जो कि लाइन फॉलोइंग के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके साथ ही हम सटीक मोड़ लेने के लिए gyro sensor और बहु-कार्य करने के लिए न्यूमेटिक्स का इस्तेमाल कर रहे है। न्यूमेटिक्स, हाइड्रोलिक्स की तरह ही होते हैं, जो अपने भीतर हवा को स्टोर करते हैं और फिर इसे विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग करते हैं। हमारे रोबोट में गियर, ढलान वाली सतह और लीवर जैसे सरल तंत्र शामिल हैं। हमने ऐसा कार्यों के दौरान मोटर्स के इस्तेमाल को कम करने के लिए किया था।"
आगे काव्या कहती है, कि "हमारे इस तंत्र में भोजन संग्रह मिशन है। हमने एक पारस्परिक तंत्र का उपयोग किया है, जिसमें रोबोट ऊपर उठता है और एक एनक्लोजर जानवरों को फंसा लेता है। फिर, रोबोट दीवार की सीध में आकर रेफ्रिजरेटर तक पहुंचता है और फिर पारस्परिक तंत्र सक्रिय होकर उसी बाड़े (एनक्लोजर) में भोजन इकट्ठा करता है।”
काव्या अपनी स्कूली पढ़ाई के साथ-साथ इस काम को भी बखूबी अंजाम दे रही है। शुरूआती दिनों में टीम सप्ताह में दो-चार घंटे का सप्ताहांत सत्र करती थी, लेकिन जैसे-जैसे प्रतियोगिता करीब आती जा रही है वे औसतन पांच दिन और 18-24 घंटे प्रति सप्ताह अभ्यास कर रहे हैं।
काव्या विग्नेश की इस बेहतरीन कोशिश ने सरकार का ध्यान भी अपनी ओर खींचा है। केंद्र सरकार में नागर विमानन राज्य मंत्री जयन्त सिन्हा ने ट्वीट करके काव्या और उनकी टीम का उत्साह वर्धन भी किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा है, रामगढ़ की 12 साल की काव्या विग्नेश पर हमें गर्व है, जो डेनमार्क में यूरोपीय रोबोटिक्स चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है।
केंद्र सरकार में नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा का ट्वीट |
एक बड़ी जीत की ओर बढ़ते हुए 12 वर्षीय काव्या विग्नेश प्रोटोटाइप के डेनमार्क में अपना कौशल दिखाने के बाद भारत में मधुमक्खियों के ऊपर काम करने वाले सरकारी अधिकारियों से मिलना चाहती है और उनके साथ सहयोग कर के उन्हें 'बी सेवर बॉट' का इस्तेमाल करने के लिए कहना चाहती है। उसे ये उम्मीद है कि वो और उसकी टीम इस प्रतियोगिता को जीत लेंगे।
काव्या और काव्या की टीम देश के हर अभिभावक से ये कहना चाहती है, कि 'अपने बच्चों के बारे में चिंता नहीं करें। उन्हें वो करने दें, जो वे करना चाहते हैं और फिर उन्हें सफल होते हुए देख कर संतुष्ट हों।
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