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Tuesday 28 March 2017

सूखे से त्रस्त 14000 किसानों के जीवन में परिवर्तन की ज्योति जगाने वाले बिप्लब केतन पॉल

आज जहाँ सारे देश में किसान विपरीत परिस्थितियों के कारण आत्महत्याएँ करने लगें हैं। पानी की कमी खराब फ़सलों और बैंकों के बढ़ते ऋण के कारण परेशान हैं, एक उद्यमी ने उनके लिए वरदान सिद्ध होने वाली तकनीक पेश की है। उत्तर गुजरात के निवासी बिप्लब केतन पॉल की भुंग्रु तकनीक के चर्चे आज देश भर में हैं। आइए जानते हैं बिप्लब केतन ने 14000 किसानों के जीवन में किस तरह परिवर्तन की ज्योति जगाई है। 

बात 2012 की है, जब लम्बे समय से जल प्रबंध की दिशा में काम करने वाले उत्तर गुजरात निवासी बिप्लब केतन पॉल की झोली में नौवाँ अनिल शाह ग्राम विकास पारितोषिक आया। डीएनए में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार भुंग्रू नाम की एक तकनीक के इस्तेमाल से इस क्षेत्र में लवणता को दुरुस्त कर पानी की कमी को दूर किया गया है। ये तकनीक सूखे की स्थिति में उन हिस्सों में एक बफ़र की तरह काम करती है, जहाँ जल का स्तर अपेक्षाकृत मानकों से नीचे है। ये एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल ही है, जिसके चलते आज प्रदेश का किसान उन हिस्सों से सालाना 3 फ़सलें निकाल रहा है, जहाँ किसी समय जल स्तर में भारी गिरावट देखने को मिली थी। आज आलम ये है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से प्रदेश के किसानों को बड़ा मुनाफ़ा देखने को मिला है। इससे उनके बीच ख़ुशी की नयी लहर आई।


अब यदि बात इस बेहतरीन तकनीक के श्रेय की हो तो ये अनोखा काम किया है, अहमदाबाद के एक उद्यमी बिप्लब ने। बिप्लब एक कुशल उद्यमी होने के अलावा समाज सेवी भी हैं। बिप्लब की इस मुहीम की अगुवाही महिलाएँ करती हैं और अब तक इनके प्रयास ने 14,000 किसानों की 40,000 एकड़ से ज्यादा की बंजर जमीन को हरा भरा और उपजाऊ किया है। द वीकेंड लीडर में प्रकाशित एक रिपोर्ट की मानें तो 46 साल के बिप्लब के अनुसार “जल शक्तिशाली है, जिसपर नियंत्रण नहीं किया जा सकता” इसके बावजूद इस मिथक को तोड़ते हुए बिप्लब ने अपनी भुंग्रू तकनीक द्वारा जल संरक्षण की दिशा में काम किया और उसे कामयाबी के साथ जन – जन में पहुँचाया। इस तकनीक के अंतर्गत जमीन के अंदर मौजूद पानी को साफ़ करने के लिए पाइपों का इस्तेमाल किया जाता है। ज्ञात हो कि ऐसा करके केवल पाइपों में ही 40 मिलियन लीटर पानी संरक्षित किया जाता है।

इस तकनीक की खास बात यह है कि एक अकेला भुंग्रू साल में केवल 10 दिन पानी का संरक्षण कर पाता है। इसको 7 महीनों तक सुगमता के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे पांच परिवार 25 साल तक साल में दो बार फ़सल तैयार कर सकते हैं। इसके अलावा ये तकनीक वर्षा जल में मौजूद नमक को भी कम करती है, जिसके चलते जहाँ एक तरफ़ इसका इस्तेमाल कृषि में किया जा सकता है तो वहीँ इसे पीने और खाना बनाने के लिए भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

बताया जाता है कि वर्ष 2002 में 7 लाख रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से खर्च करके गुजरात के पाटन जिले में इस तकनीक की पहली यूनिट को डाला गया था। वर्तमान में भुंग्रू यूनिट 17 अलग – अलग डिज़ाइन में उपलब्ध हैं और इनकी कीमत इनकी भिन्न विशेषताओं के अनुसार 4 लाख से 22 लाख रुपए के बीच है। इस यूनिट को इंस्टाल करने में 3 दिन का समय लगता है, जहाँ हर एक यूनिट से 15 एकड़ जमीन के लिए भरपूर पानी की व्यवस्था करी जा सकती है। साथ ही इससे ज़मीन की उत्पादन क्षमता को दो बार के लिए भी तैयार किया जा सकता है।

अंत में आपको बताते चलें कि जल संरक्षण की दिशा में काम करते हुए और जल की दशा को सुधारते हुए बिप्लब को 2012 में अशोक ग्लोबलाइज़र अवार्ड मिल चुका है। साथ ही इन्हें अपने प्रयासों के लिए वर्ल्ड बैंक, कॉमनवेल्थ, एशियाई डेवलपमेंट बैंक, यूएन द्वारा कई पुरस्कारों और अनुदानों से नवाज़ा जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि बिप्लब केतन पॉल ने 2004 में विश्व बैंक के आईवीएलपी(इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोग्राम) का हिस्सा बने। उन्होंने गांधी जी के सिद्धांत अंत्योदय से सर्वोदय के सिद्धांत को अपनाते हुए समाज के सबसे अंतिम छोर पर खड़े किसान की मदद के लिए अपने आपको समर्पित किया और वर्षाजल संरक्षण के एक बड़े अभियान पर निकल पड़े।

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