Total Pageviews

Thursday, 23 March 2017

नई पहल: अपने इलाके को रखिए साफ और पाइये मुफ्त इलाज


भला आज के जमाने में ऐसा हो सकता है कि आप किसी डॉक्टर के पास इलाज कराने जाएं और वो फीस के बदले पैसे नहीं बल्कि कचरा ले। जी हां, इस दुनिया में एक डॉक्टर ऐसा भी है जो इलाज के बदले पैसे नहीं बल्कि कचरा लेता है। इंडोनेशिया के 26 वर्षीय गमाल अलबिनसईद ऐसे ही डॉक्टर है जिनके इस सोच ने पर्यावरण और स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई क्रांति ला दी है। जरा सोचिए अपने इलाके की सफाई के बदले अगर आपको मुफ्त में इलाज मिले तो आप क्या करेंगे। आप क्या कोई भी होगा अगर उसे ये सुविधा मिलेगी तो वह अपने इलाके को
साफ रखेगा। इंडोनेशिया के डॉक्टर गमाल अलबिनसईद ने इसकी पहल की है। उनकी इस सोच से दो बड़ी समस्याओं का समाधान हो रहा है। इंडोनेशिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जो गरीबी के कारण अपना सही इलाज नहीं करवा सकते। वहीं दूसरी ओर अलबिनसईद की योजना साफ-सफाई भी करने में मदद करेगी।



दो किलो कचरा लाएं और 10 हजार का इंश्योरेंस पाएं:

इस सुविधा को पाने के लिए लोगों को रिसाइकिल करने योग्य कचरा क्लीनिक में जमा करवाना होता है। कचरे में आने वाली प्लास्टिक की बोतलों और कार्डबोर्ड को उन कंपनियों को बेच दिया जाता है जो इन्हें रिसाइकिल
करके उत्पाद बनाती हैं। साथ ही अन्य उपयुक्त कचरे को उर्वरक और खाद बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे करीब 2 किलो प्लास्टिक के बदले 10,000 इंडोनेशियाई रुपया जितना इंश्योरेंस मिलता है। जीसीआई की
सदस्य बनीं एक घरेलू महिला एनी पुरवंती के मुताबिक, ‘‘कचरे और स्वास्थ्य का यह कार्यक्रम बेहद मददगार है। मुझे ब्लडप्रेशर की समस्या है। मैं कचरा इकट्ठा करके इलाज की रकम चुकाती हूं. इस कार्यक्रम से मेरे स्वास्थ्य बजट पर फर्क पड़ा है.ष्अलबिनसईद का माइक्रो हेल्थ इंश्योरेंस कार्यक्रम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। छोटे से कैंपस से लेकर पूरे देश तक इसकी चर्चा है। जीसीआई के अब तक पांच क्लीनिक हैं और यहां 3500 से ज्यादा मरीजों का इलाज हो रहा है।



ये कहना है डॉ. अलबिनसईद का:

अलबिनसईद ने का कहना है कि “हमने लोगों की कचरे क लेकर आदतों के बारे में सोच को बदला है”। लोग इन्श्योरेंस वाले इन कचरे के डिब्बों को अहमियत दे रहे हैं। अब लोग अपने कूड़े
करकट के  साथ ज्यादा जिम्मेदारी दिखा रहे हैं। इससे ना सिर्फ गरीबों तक इलाज की सुविधा पहुंच रही है बल्कि यह कचरे की समस्या से निपटने का भी अच्छा उपाय साबित हो रहा है। अलबिनसईद ने बताया कि उनका मकसद बेहद सरल है। घर में पैदा होने वाले कचरे से लोग इलाज के लिए पैसे जुटा सकते हैं। अलबिनसईद कहते हैं कि उनका मकसद बेहद सरल है। घर में पैदा होने वाले कचरे से लोग इलाज के लिए पैसे जुटा सकते हैं।

कई बार हो चुके हैं सम्मानित

भारत की ही तरह इंडोनेशिया में भी कचरे से निपटने की समस्या है। वहां हर साल समुद्र के आसपास के इलाकों में पैदा होने वाला करीब 32 लाख टन कचरा समुद्र में पहुंचता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार के मुताबिक यह दुनियाभर के महासागरों में जाने वाले कचरे का 10 फीसदी हिस्सा है। ऐसे में इस डॉक्टर का माइक्रो हेल्थ इंश्योरेंस कार्यक्रम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इनके बारे में छोटे से कैंपस से लेकर पूरे देश तक में चर्चा है।अलबिनसईद का मकसद इ कार्यक्रम को दुनिया भर में पहुंचाना है। उनके पास अब तक
पांच क्लीनिक हैं और जहां 3500 से ज्यादा मरीजों का इलाज हो रहा है। डाॅ. गमाल जी की इस सोच के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं बल्कि उनके इस काम के लिए उन्हे 2014 में ब्रिटेन के प्रिंस चार्लस भी सम्मानित कर चुके हैं।

भविष्य की योजना:

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक इंडोनेशिया में 63 लाख लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा की सुविधा नहीं है. जीसीआई के पास उपलब्ध डाटा के मुताबिक कुल आबादी के 60 फीसदी लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है। सरकारी स्वास्थ्य
केंद्रों में चिकित्सा कर्मचारियों की कमी बड़ी समस्या है। वह इस कार्यक्रम को दुनिया भर में पहुंचान चाहते हैं। वह कहते हैं, ‘‘हमारा मकसद है अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी संसाधनों का उचित इस्तेमाल करना।’’ अलबिनसईद कहते हैं कि उनका मकसद बेहद सरल हैं।  घर  में पैदा होने वाले कचरे से लोग इलाज के लिए पैसे जुटा सकते हैं।

No comments: