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Saturday 25 March 2017

मनसुख भाई जगानी ने बनाया साइकिल चालित छिड़काव यंत्र

गुजरात के अमरेली जिला स्थित मोटा देवालिया गांव निवासी मनसुखभाई अंबाभाई जगानी (40) किसान होने के साथ-साथ यांत्रिक खोज का जुनून रखने वाले शिल्पकार भी हैं। वह अपने परिवार के मुख्य उपार्जक हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी के अलावा तीन बेटियां और एक बेटा है। उनका जन्म एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था। अपने चार भाइयों में सबसे बड़े मनसुखभाई खराब आर्थिक स्थिति के कारण केवल प्राथमिक स्तर की शिक्षा ही पूरी कर सके। 


इसके बाद पिता के साथ खेती के कामों में हाथ बंटाने लगे। बाद में उन्होंने कुछ दिनों के लिए सूरत स्थित एक हीरा काटने-चमकाने (कटिंग-पॉलिसिंग) वाली कंपनी में काम किया। हीरा पॉलिसिंग उद्योग में काम नहीं होने की स्थिति में कृषि मज़दूर के रूप में उन्होंने कई अन्य स्थानों पर भी काम किया। लेकिन वह अपने काम से संतुष्ट नहीं हुए और गांव लौट आए। यहां इन्होंने एक साल तक लोहा वेल्डिंग और सामग्री निर्माण का अनौपचारिक प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने अपने ही गांव में मरम्मत-निर्माण कार्यशाला (वर्कशॉप) खोली जिसे वह पिछले 22 सालों से चला रहे हैं। 

वह ग्रामीणों को डीजल इंजन और कृषि औजारों के मरम्मत और निर्माण से जुड़ी सेवाएं देते हैं। इसके अतिरिक्त हैरो, हल, सीड ड्रिल और ग्रिल जैसे कृषि उपकरणों को बेचते हैं। दरवाज़े और खिड़कियां भी बनाते व बेचते हैं। उत्पत्ति रू खेत में कृषि रसायनों के छिड़काव में होनेवाली परेशानी से अवगत जगानी ने एक ऐसे छिड़काव यंत्र विकसित करने का निर्णय लिया जो किसानों के लिए कुशल व क्रय दायरे में आनेवाला हो। उन्होंने छिड़काव यंत्र को हर घर में पाए जाने वाली साइकिल से जोड़ने का निर्णय लिया। 

उन्होंने एक परंपरागत साइकिल ली और बीच वाले सॉकेट को पीछे वाले पहिए तथा पीछे वाले पहिए के सॉकेट को बीच वाले सॉकेट की जगह लगाया। बीच वाले सॉकेट में उन्होंने पैडल की जगह पिस्टन की छड़ को जोड़ा। जो दो में से एक ओर पीतल यांत्रिक सिलेंडर पंप से जोड़ा गया। उन्होंने 30 लीटर के एक पीवीसी भंडारण टैंक को कैरियर पर रखा। यह सिलेंडर को आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराने के साथ-साथ नोजल (नोक) लगे चार फीट लंबे छिड़काव करने वाले सिरे से जुड़ा होता है। इसको अन्य उपकरणों के साथ साइकिल कैरियर के दोनों ओर जोड़ा जा सकता है। आठ दिनों की कठिन मेहनत के बाद उन्होंने साइकिल चालित छिड़काव यंत्र बनाने में सफलता पाई। बाद में उन्होंने साइकिल के संतुलन को बनाए रखने के लिए 20 लीटर के दो टैंकों को साइकिल के दोनों ओर रखकर एक आदर्श नमूना (मॉडल) बनाया। वे ऐसे तीन यंत्रों को तैयार कर बेच चुके हैं। 


यह छिड़काव व्यवस्था नवीन सॉकेट पंप, टैंक और समायोज्य छिड़काव सिरे (स्प्रेयर बूम) का संगम है जो बाज़ार में उपलब्ध किसी साइकिल के साथ युक्त किया जा सकता है। घोलवाला ड्रम साइकिल के फ्रेम से जुड़ा होता है। लिंकेज यंत्र रचना के माध्यम से पिस्टन परस्पर सॉकेट से जुड़े होते हैं। इसमें कई नोजल होते हैं। इसकी ऊंचाई और दिशा को आवश्यकताओं के अुनसार समायोजित किया जा सकता है। उपयोग नहीं होने की स्थिति में इसको खोलकर तह किया जा सकता है। इसी तरह से चलाने वाले सॉकेट को आपस में बलदकर एक परंपरागत साइकिल का रूप दिया जा सकता है। बड़ा सॉकेट पहिए के साथ फिट होता है जबकि छोटे से साइकिल चलाने का काम होता है। 

साइकिल के आगे या पीछे चलने पर चेन और सॉकेट की मदद से पंप टैंक में हवा का दबाव बनता है। इसके बाद छिड़काव वाले सिरे पर लगे नोजल के सहारे छिड़काव का काम पूरा होता है। नियंत्रण (कंट्रोल) वाल्व की मदद से छिड़काव वाले सिरे से द्रव (लिक्विड) के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है। लाभ रू इस छिड़काव यंत्र में कम ऊर्जा खपत होती है। इसको संचालित करना और इसकी देखभाल करना आसान है। यह एक ऐसा लचीला उत्पाद है जो समायोज्य ऊंचाई और चौड़ाई के साथ बेहतर छिड़काव परिणाम देता है। यह सभी फसलों के लिए उपयोगी है। ट्रैक्टर से जुड़े शक्ति चालित छिड़काव यंत्र की तुलना में इसके बहुत सारे उपयोग हैं क्योंकि साइकिल को चलाने के लिए बहुत कम जगह चाहिए। यह श्रम बचाने वाला उपकरण है। एक एकड़ खेत में इसकी मदद से 45 मिनट में छिड़काव किया जा सकता है। इस तरह से यह मैनुअल स्प्रेयर की तुलना में अधिक क्षेत्र कवर करता है। इसको जोडना और खोलना आसान है। छिड़काव यंत्र और साइकिल दोनों रूपों में इसका प्रयोग होता है। इसकी लागत साइकिल से अलग 2200 रूपये है। प्रासंगिकता और संभावनाएं रू आमतौर पर किसानों द्वारा प्रयुक्त थैलेनुमा छिड़काव यंत्र में एक हाथ से पंपिंग तथा दूसरे हाथ में छिड़काव करना पड़ता है। छिड़काव की पूरी प्रक्रिया थकानेवाली है, साथ-साथ पीठ पर लंबे समय तक वजन होने की वजह से हाथ, गर्दन और पीठ में दर्द होने लगता है। इस तरह से बड़े क्षेत्र में छिड़काव करने में अधिक समय लगता है जिससे खर्च में बढ़ोतरी होती है। 

इसके अतिरिक्त कीटनाशक की बूंद के आंखों में जाने का भी खतरा रहता है। शहर की ओर पलायन के कारण कृषि मजदूरों की संख्या कम हो गई है। दोपहिए या ट्रैक्टर से संबद्ध छिड़काव यंत्र बहुत खर्चीले होने के साथ छोटे खेतों के लिए अनुपयुक्त होते हैं। नवप्रवर्तनों की एक शृंखला... मोटरसाइकिल चालित बहुद्देशीय कृषि उपकरण (बुलेट सैंटी) रू वर्ष 1994 में मनसुखभाई जगानी ने मोटरबाइक के लिए बहुद्देशीय उपकरण पट्टी (टूल बार) विकसित किया था। इसने सौराष्ट्र में मजदूरों की किल्लत और बैल की कमी जैसी दोहरी समस्या को सुलझाने में मदद की। इस मोटर साइकिल संचालित हल (बुलेट सैंटी) का कुंड खोलने, बुवाई, अंतर-संवर्धन और छिड़काव के संचालन जैसे विभिन्न खेती के कार्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। छोटे आकार के खेतों के लिए मनसुखभाई की मध्यवर्ती प्रौद्योगिकी कुशल और लागत प्रभावी साबित हुई। यह सिर्फ दो लीटर डीजल की खपत से आधे घंटे से कम समय में एक एकड़ (0.4 हेक्टेयर) निराई (खरपतवार निकालने) का काम कर सकती है। इस मोटरबाइक (सैंटी) की मदद से सामान्य खेतों में निराई का काम आठ रुपये प्रति हेक्टेयर के दर से किया जा सकता है। जबकि एक दिन में 10 हेक्टेयर खेत से खरपतवार निकाले जा सकते हैं। बीज सह उर्वरक डिबलर रू जगानी ने बीज सह उर्वरक डिबलर को भी विकसित किया। यह उपकरण बुवाई के उपलब्ध विकल्पों में सबसे तेज और किफायती है। यह यंत्र बुवाई तथा फसलों में उर्वरक डालने वाले दोनों कार्यां में सहायक है। इससे बीज और उर्वरक की बर्बादी नहीं होती है। समरूप बुवाई होने से अंकुरण प्रतिशत में बढ़ोतरी होती है। 

ग्रामीण प्रतिभा के लिए मान्यता रू राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान दृ भारत की ओर से जमीनी स्तर पर प्रौद्योगिकीय नवप्रवर्तन के लिए आयोजित प्रतियोगिता में वर्ष 2000 में मनसुखभाई जगानी के बुलेट सैंटी ने दूसरा पुरस्कार जीता था। पुणे में आयोजित इंडियन साइंस कांग्रेस-2000 और आई. आई. टी दिल्ली में आयोजित स्वदेशी विज्ञान मेले में भी इस नवप्रवर्तन को प्रदर्शित किया गया था। 

जून 2002 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित प्रदर्शनी में भी इन्हें सृष्टि और राष्ट्रीय नवप्रवर्तन की मदद से अपने नवप्रवर्तन को प्रदर्शित करने का मौका मिला। इसका आयोजन संयुक्त रूप से उत्तरी राज्यों के लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्यम विभाग (एस. एम. एम. ई) और राष्ट्रमंडल विज्ञान परिषद (सी. एस. सी), लंदन की ओर से किया गया था। प्रदर्शनी के दौरान उन्हें दर्शकों के सम्मुख दोपहिए में लगे कीटनाशक छिड़काव यंत्र को दिखाने का मौका मिला। 

चूंकि उत्तरी प्रांतों के किसानों के पास मोटरबाइक नहीं साइकिल होती है इसलिए मनसुखभाई ने मौके पर ही साइकिल स्प्रेयर मुहिम को शुरू किया। ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े इस प्रतिभा के ज्ञान और दक्षता से वहां उपस्थित सभी लोग प्रभावित हुए। वास्तव में मनसुखभाई का मोटर बाइक बहुद्देशीय हल एक ऐसा उत्पाद है जिसका वैश्विक प्रयोग किया जा सकता है। एनआई. डी, अहमदाबाद की ओर से डिजाइन तैयार करने में सहयोग, बोस्टन स्थित टीएचटी के पेटेंट आवेदन करने में सहयोग और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सोलन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की ओर से विधि-व्यापार संबंधी मदद के बाद इस नवप्रवर्तन को सही मायने में स्थापित किया जा सका। 

साइकिल छिड़काव यंत्र के पायलट उत्पादन व जांच विपणन के लिए राष्ट्रीय नवप्रवर्तन ने उन्हें माइक्रो उद्यम अभिनव कोष (एमभीआईएफ) से 20 हज़ार रुपये की स्वीकृति दी है। नवप्रवर्तन विवरण रू खेतों में कृषि रसायनों का छिड़काव एक कठिन और श्रमसाध्य कार्य है। बाज़ार में उपलब्ध परंपरागत थैलेनुमा छिड़काव यंत्र को चलाने के लिए मानवीय श्रम की जरूरत होती है। कृषि श्रमिकों के शहर की ओर पलायन करने के कारण ये सहज उपलब्ध नहीं हैं। छोटे किसानों के लिए बाजार में उपलब्ध शक्ति चालित छिड़काव यंत्र या ट्रैक्टर से जुड़े छिड़काव यंत्र के खर्च को वहन करना संभव नहीं है। ये यंत्र बहुत महंगे होने के साथ-साथ छोटे किसानों के छोटे भू-खंडों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। मनसुख भाई जगानी किसान होने के साथ-साथ यांत्रिक नवप्रवर्तन का जुनून रखने वाले एक शिल्पकार भी हैं । 

उन्होंने साइकिल चालित एक छिड़काव यंत्र विकसित किया जो किसानों के लिए उपयुक्त और क्रय दायरे में आने वाला है। इस समायोजन में साइकिल सॉकेट की वृत्तीय गति की मदद से स्प्रे पंप के पिस्टन को चलाया जाता है। इससे उत्पन्न दबाव की मदद से कीटनाशकों का छिड़काव संभव होता है। बेकार साइकिलों के आगे और पीछे के सॉकेट को अदल-बदल कर छोटे सॉकेट को पिस्टन पंप से जोड़ दिया जाता है ताकि वृत्तीय गति को पिस्टन की गति में रूपांतरित किया जा सके और इसका प्रयोग खेत में कीटनाशकों के छिड़काव के लिए किया जा सके।

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