गांव के एक किसान ने 2 साल में 10 लाख रुपए खर्च कर नदी पर छोटा बांध बनाया और उसपर टरबाइन लगा दी। इससे वह खेतों में सिंचाई करते हैं और जो बिजली बनती है, उससे 10 हॉर्स पावर की मोटर भी चलाते हैं।
8वीं फेल किसान ने कैसे बनाया बांध और टरबाइन...
- मध्य प्रदेश के गांव निरखी में रहने वाले मदनलाल बताते हैं कि मेरा परिवार खेती पर ही निर्भर है। हमारे इलाके में पानी तो है पर सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिलती।
-डीजल से सिंचाई पर करने पर फसल की लागत इतनी बढ़ जाती है कि हाथ में कुछ भी नहीं आता।
-बात जनवरी 2014 की है। किसी काम से तवा बांध जाना हुआ। यहां मैंने टरबाइन से बिजली बनती देखी। बस यहीं से आइडिया आया।
आसान नहीं था टरबाइन लगाना....
मदनलाल कहते हैं, मेरा खेत जहां है, वहां टरबाइन लगाना आसान नहीं था। हमेशा पानी का बहाव रहता है और यहां पहुंचने के लिए रास्ता भी नहीं था। कमर तक गहरे पानी के बीच लोहा, सीमेंट, गिट्टी और रेत नदी के मुहाने तक ले गया। पहले नदी का बेस मजबूत किया। उस पर 40 क्विंटल लोहे से टरबाइन बनाया। उसके बीच से प्रेशर के साथ पानी निकालने के लिए बांध तैयार किया। पिछले 25 दिसंबर को बांध और टरबाइन तैयार हो गया।
प्रेशर से घूमता है टरबाइन....
खेत तक रास्ता होता तो काम और पहले हो जाता। टरबाइन को घुमाने के लिए मैंने उसके दोनों तरफ सीमेंट की दीवार बनाई। बांध से पानी टरबाइन से गुजरता है। प्रेशर से टरबाइन घूमता है। इससे सॉफ्ट को जोड़ा। साफ्ट को गियर बॉक्स से। गियर बॉक्स गुणात्मक वृद्धि कर राउंड/मिनट (आरपीएम) बढ़ाता है। वाटर पंप जोड़ने पर पानी खेतों में पहुंचने लगता है। अल्टीनेटर जोड़ने पर बिजली बनती है।’
मदनलाल बताते हैं, ‘पहले 10 एकड़ जमीन की सिंचाई बिजली से करने पर 25 दिन लगते थे। डीजल पंप से 16 से 18 दिन। 30 हजार रुपए का डीजल भी जलता था। इस बार 4 दिन में ही 10 एकड़ जमीन की सिंचाई हो गई। टरबाइन की बिजली से नदी से दूर स्थित खेत के ट्यूबवेल की मोटर भी चलाई। वहां की सिंचाई भी हो गई। कुछ खर्च नहीं करना पड़ा।’
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