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Thursday, 23 March 2017

खौलते तेल में हाथ डालकर निकालता है पकौड़ी, देखने के लिए जुटती है भीड़

भारत सच में अजब-गजब देश है। इस देश में इधर-उधर अजूबी चीजें देखने को मिलती हैं। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में ऐसे ही एक गजब के हलवाई हैं, जिनका नाम राम बाबू है। राम बाबू में ऐसी खासियत है कि वे खौलते तेल से बिना किसी हिचक के पकौड़े निकाल लेते हैं। 60 साल के राम बाबू को ऐसा करते हुए सालों बीत चुके हैं। उन्हें ऐसा करते हुए देखने के लिए रोज कई लोग उनकी दुकान पर आते हैं। राम बाबू भी सभी के सामने 200 डिग्री सेल्सियस पर उबल रहे तेल से पकौड़े छानकर उन्हें खिलाते हैं। राम बाबू कहते हैं, ‘लोग दूर-दूर से मुझे बिना अपने हाथ जलाए हुए पकौड़े छानते हुए देखने के लिए यहां आते हैं। मैं पिछले 40 साल से भी ज्यादा समय से ऐसा कर रहा हूं और आज तक कभी मेरा हाथ नहीं जला व कभी मेरे हाथ पर फफोले नहीं बने। ’राम बाबू ने 20 साल की उम्र में जब सड़क किनारे आलू और बैंगन के पकौड़े तलकर बेचना शुरू किया था, तब उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि एक दिन उन्हें इतनी सफलता हाथ लगेगी। लेकिन जैसे-जैसे उनके पकौड़ों की मांग बढ़ती गई उन्होंने समय बचाने की सोची और छलनी का इस्तेमाल बंद कर गर्मागर्म तेल से अपने हाथ से ही पकौड़े छानना शुरू कर दिया।


राम बाबू याद करते हुए बताते हैं कि छलनी का इस्तेमाल करने में काफी समय खराब होता है। एक दिन स्टॉल पर काफी ज्यादा भीड़ थी और मेरे पास कोई मदद करने के लिए नहीं था। जल्दबाजी में उन्होंने गर्म कढ़ाई से पकौड़े निकालने के लिए अपना हाथ डाल दिया। इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते उनका हाथ खौलते तेल में था। तब उन्होंने तुरंत अपना हाथ बाहर निकाला और ढक लिया। उन्हें लगा हाथ में फफोले पड़ गए होंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

राम बाबू जी ने बताया कि उसी दिन से उन्होंने छलनी इस्तेमाल नहीं करने का निर्णय लिया और वह आज तक कभी नहीं जले। बल्कि उन्हें ऐसा लगता है, जैसे वह पानी में हाथ डाल रहे हों। राम बाबू प्रतिदिन 100 किलो से भी ज्यादा पकौड़े बेचते हैं और करीब 2000 रुपये की कमाई कर लेते हैं। वो बताते हैं ‘लोग मुझे ऐसा करते देखने के लिए लालायित रहते हैं। वे मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं कोई जादू करता हूं, तो मैं मुस्कुराते हुए जवाब देता हूं... ये भगवान का जादू है।’


इतने सालों में राम बाबू के ग्राहकों की एक मंडली बन गई है। लोग उनके फैन हैं और शहर भर से उन्हें देखने व उनके हाथ के पकौड़े खाने के लिए पहुंचते हैं। अमित सिंह नाम के एक व्यक्ति राम बाबू के नियमित ग्राहक हैं और वह कहते हैं, ‘मैं जब भी उन्हें गर्मागरम तेल से पकौड़े निकालते हुए देखता हूं तो आश्चर्य चकित रह जाता हूं। किसी को यकीन न हो तो उन्हें राम बाबू को ऐसा करते हुए देखना चाहिए।’ ग्राहक अमित का कहना है कि मैं तो उस खौलते तेल को छूने के बारे में सोच भी नहीं सकता। लेकिन वे आश्चर्यजनक तौर पर ऐसा करते हैं, जैसे ठंडे पानी में पकौड़े तल रहे हों। और हां उनके पकौड़े स्वादिष्ट भी होते हैं। ग्राहक तो ग्राहक राम बाबू की इस विलक्षण प्रतिभा से डॉक्टर भी हैरान हैं। राम बाबू कहते हैं, जैसे-जैसे वे मशहूर हुए तो कुछ डॉक्टरों ने भी उनसे संपर्क किया और वे उन पर रिसर्च करना चाहते हैं। कुछ लोग उनकी त्वचा के सैंपल भी लेकर गए हैं। लेकिन कुछ भी असाधारण नहीं मिला। रामबाबू जी ने कहा कि मैं नहीं जानता कि मैं ऐसा क्यों हूं। लेकिन जब तक मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंच रहा और मेरी इस क्षमता से मेरी कमाई हो रही है तो मैं खुशी-खुशी हाथ से पकौड़े
छानता रहूंगा।

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