बिहार के पूर्वी
चम्पारण के मोहम्मद रोज़ादीन अपने प्रेशर
कूकर और उसकी
सीटी से जुड़ी हुई
नली से निकलने वाले
तेज़ भाप को
जग में प्रवाहित कर
झाग वाली काॅफी तैयार
करते हैं और उस
काॅफी को अपने
ग्राहकों को पेश कर
वह पैसा कमा
रहे हैं। परंपरागत रूप से
प्रेशर कूकर केवल भोजन
बनाने के लिए प्रयोग
किया जाता है।
हालांकि
46 वर्षीय रोज़ादीन ने एक साधारण
प्रेशर कूकर को एक एसप्रेसो
काॅफी मशीनमें तब्दील
कर दिया है।
अब यह मोडिफाइड कूकर
का प्रयोग केवल पानी
उबालने और भाप उत्पन्न
करने के लिए ही
किया जाता है।
कूकर में लगाई गई
काॅपर की पाइप
में एक रेगुलेटर लगाया
गया हैजिससे उच्च
दाब से भाप उत्पन्न
होती है और
जल्दी ही स्वादिष्ट काॅफी
तैयार हो जातीहै।
मोहम्मद
रोज़ादीन अल्यास जी का
जन्म सन् 1963 में
मोतीहारी के चम्पारण
मेंहुआ। चम्पारण का भारत
के इतिहास में एक
महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि
महात्मा गांधीजी ने यहां
सन् 1917 में सत्यग्रह का आंदोलन
शुरू किया था। रोज़ादीन
जी नेबताया कि
वह जब भी
किसी विवाह समारोह में जाते
थे तो उनका सारा
ध्यान काॅफीस्टाल पर
ही होता था।उनका
कहना है कि
आमतौर पर लोग काॅफी
की जगहचाय पीते
हैं, जिसका एक कारण
यह भी है
कि सड़क किनारे वाली
चाय के ठेलों
पर काॅफी तैयार करने वाली
मशीन उपलब्ध नहीं होती
क्योंकि काॅफी बनाने वाली मशीन
बहुत महंगी होती है
और उसका इस्तेमाल करने
के लिए बिजली की
आवश्यकता भी होती
है।
जो सड़क किनारे
चाय वाले ठेलों के
पास उपलब्ध नहीं होती। तब
उन्हें यह विचार आया
कि यदि वह
सस्ते दामोंपर काॅफी
बनाने वाली मशीन विकसित
कर लें तो
यह चाय केठेले
लगाने वालों की
आय को बढ़ाने में
सहायक होगी। उन्हेंयह
विचार सन् 1993 में
आया और तब उन्होंने
अपनी इस काॅफी बनाने
वाली मशीन के लिए
निवेश करने का
सोचा।उन्होंने कुछ समय
काॅफी बनानेकी प्रतिक्रिया
को समझने मेंलगाया
ताकि उनकी मशीन
मेंकम से कम
त्रुटि हो सके। रोज़ादीन
जी की आय
उस समय इतनी नहीं
थी कि वह कुछ
रूपये अपने नवप्रवर्तन
केलिए भी निवेश
कर सकें। लेकिन फिर
भी वह आगे
बढ़े और अपने एक
दोस्त से तकरीबन 2000 रूपये
उधारलिये और बाद
में धीरे धीरे
करके उसके पैसे
लौटा दिये। फिरकहीं
जाकर उन्होंने एक
पुरानेकुकर और काॅपर
की ट्यूब केप्रयोग
से एक प्रोटोटाइप
तैयारकिया।रोज़ादीन ने इस
काॅफीबनाने वाली मशीन
के लिए काॅपर की
पाइप को कूकर
केढक्कन से जोड़
दिया, जिससे काॅपर में
बनी भाप एक त्रितहोकर
काॅपर की पाइप
केज़रिये काॅफी वाले जग
में चली जाती है
और झाग वाली
काॅफी बनकर तैयार हो जाती
है।
उन्होंने बताया कि कूकर
मेंउन्होंने काॅपर की पाइप
वेल्डिंग करवा कर फीट
करवाई थी। काॅफी कूकर
तैयार करने केलिए
उसकी कीमत कूकर
के आकार पर आधारित
होती है। एक नया
10 लीटर वाले कूकर को
काॅफी कूकर में
तब्दील करने की लागत
2000 रूपये आती है जबकि
एक पुराने कूकर को
तैयार करने में
केवल750 रूपये की लागत
ही आतीहै। उन्होंने
बताया कि यदि कोई
अपना कूकर लेकर
आते हैं तो वह
उसे 250 रूपये में तब्दील कर
देते हैं। उनका कहना
है कि किसी
भी प्रकारके कूकर
को काॅफी मेकर
में बदला जा सकता
है। उन्होंनेयह भी
बताया कि एन
आईएफ ने उनके
नाम से काॅफीकूकर
को पेटेंट करवाया
है।
रोज़ादीन जी अब
तक 1500 से भी
ज्यादा काॅफी कूकर मोतीहारी और
अन्यस्थल जैसे ढाका,
वाघा बाॅर्डर,रक्सौल,
समस्तीपुर जैसी कई जगहों
पर बेच चुके
हंै। वह अपने इस
नवप्रर्वतन को आगे बढ़ाने
की सोच रहे
हैं।उन्होंने कहा कि
वर्तमान समय में वह
यह काॅफी कूकर मांग
पर ही बनाते
हैं लेकिनआगे वह
ऐसे कुछ काॅफी
कूकर पहले से ही
बनाकर रखना चाहते हैं
ताकि दूर से
आने वाला ग्राहक भी इसे
खरीद सके। इसके लिए
वह अपनी आर्थिक स्थिति
को मजबूत बनाने में
जुटे हुए हैं।
उन्होंनेअपने इस काॅफी
कूकर का नाम ‘‘जेपी उस्ताद
काॅफी कूकर" रखा
है |
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