आर्थिक असमानता के दौर से गुज़र रहे हमारे समाज में आज सरकार
के अलावा कुछ और लोग भी हैं जो अपने स्तर पर कुछ बदलने का अभिनव प्रयास कर रहे हैं
। तमिलनाडू से 500 किलोमीटर दूर इरोड में सरकारी अस्पताल के
पास मेस चलाने वाले वेंकटरमण हर रोज़ 70 लोगों को 1 रूपये में भोजन कराते हैं
। उनका यह मेस सन् 1995 से चल रहा है
।
सन् 2007 में एक दिन की बात है जब सरकारी अस्पताल से एक बज़ुर्ग
महिला अपने बीमार पति के लिए 10 रूपये की इडली खरीदने आई, लेकिन इडलियां खत्म हो चुकी
थी तब वेंकटरमण ने उन्हें सुझाव दिया कि वह 10 रूपये में तीन डोसा ले जाये, परन्तु
बुज़ुर्ग महिला ने कहा कि यह खरीदना उसके लिए महंगा है और 10 रूपये के डोसों में उसके
पति का पेट भी नहीं भर पायेगा तथा उसके पास केवल 10 ही रूपये हैं । तब वेंकट जी ने
उस महिला को 10 रूपये में ही तीन डोसों की बजाय 6 डोसे दे दिये
। इस छोटी सी घटना से उनके कोमल हृदय में गरीब मरीजों के लिए
संवेदना उत्पन्न हुई और उन्होंने इस विषय में सोचना शुरू किया
।
अपनी पत्नी से विचार विर्मशः करके अपनी मेस पर गरीब लोगों
को एक रूपया की दर से भोजन उपलब्ध कराने का कार्य प्रारंभ किया। अपनी इस योजना में
सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को भी शामिल कर लिया।
शुरूआत में दस मरीजों को प्रति दिन एक रूपये की दर से भोजन कराने का लक्ष्य रखा गया।
वेंकटरमण अपनी इस योजना के कारण शुरू में घाटे को लेकर आशंकित थे लेकिन जल्द ही उन्हें
यह अहसास हो गया कि इस योजना के कारण उनकी
लोकप्रियता में वृद्धि हुई है और उनके मुनाफे पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। समय बीतने
के साथ उनका व्यापार और अधिक बढ़ गया और आज लगभग 70 गरीब मरीज उनकी मेस पर रोज़ाना
एक रूपये में भोजन करते हैं ।
डॉलर के मुकाबले रूपया घटे या बढ़े इससे वेंकटरमण की योजना
पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वेंकटरमण परिवार ने आने वाले दिनों में अपनी इस योजना में
100 गरीब मरीजों को शामिल करने का लक्ष्य रखा है
। उन्होंने बताया कि वह ज्यादा अमीर आदमी तो नहीं है लेकिन वे
कुछ गरीब लोगों को कम राशि में भर पेट खाना खिलाने में सक्षम ज़रूर हैं तथा अन्य लोग
जो पूरे पैसे देकर खाना खरीद सकते हैं उनसे वह भोजन का पूरा भुगतान लेते हैं
। जिससे वे अपनी मेस को आर्थिक घाटे से सुरक्षित रख सकें। वह
गरीबों से भोजन का एक रूपया केवल इस लिए लेते हैं ताकि उन्हें यह महसूस न हो कि वे
फ्री में भोजन खा रहे हैं और उनका स्वाभिमान और उत्साह भी बना रहे
। अब उन्होंने मेस के अलावा सुबह-शाम टिफिन सर्विस भी शुरू कर
दी है जिससे उनका व्यापार तरक्की कर रहा है । उनकी दो बेटियां हैं, बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है तथा छोटी
बेटी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है ।
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