पेशे से किसान 62 वर्षीय नवल किशोर सिंह के पास पारम्परिक ज्ञान का भरपूर खजाना है। उन्होंने पशुओं को होने वाले अल्पकालिक बुखार (EPHEMERAL FEVER) के लिए एक असरदार हर्बल दवा तैयार किया है। उन्हें यह पारम्परिक ज्ञान अपने पिता स्व. कैलाश सिंह से मिला था। उनके पास क्षेत्र के लोग अपने पशुओं को होने वाली बीमारी के इलाज के लिए आते थे। यही वजह थी कि नवल किशोर को बहुत कम उम्र में ही हर्बल मेडिसिन के बारे में अच्छी समझ विकसित हो गई। गांव से प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए नजदीक के इलाके वारसलिगंज चले गए, लेकिन वह परीक्षा पास नहीं कर पाए। इसके बाद परिवार के लोगों ने उनकी शादी कर दी और उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों में हाथ बटाना शुरू कर दिया। साल 1990 में पिता की मत्यु के बाद घर और खेती की पूरी जिम्मेदारी नवल किशोर पर आ गई। इसके अलावा उन्हें अपने घर में चलने वाले छोटे पशु चिकित्सालय को भी संभालना पड़ा। आय के लिहाज से परिवार की सदस्यों की संख्या काफी ज्यादा थी, ऐसे में शुरुआती समय में उन्होंने तमाम आर्थिक कठिनाइयां झेलनी पड़ी। इसके बावजूद भी नवल किशोर ने अपने मूल्यों से कोई समझौता नहीं किया और सेवा के लिए कभी किसी से कोई रकम नहीं मांगी। यहां तक की जरूरत पड़ने पर उनकी मदद अपने पैसों से की, यही वजह थी वह क्षेत्र में जल्द मशहूर हो गए। सकारात्मक सोच रखने वाले नवल किशोर जीवन में आने वाली कठिनाईयों को लेकर कहते हैं कि जो होता है वह भगवान की मर्जी से होता है। इसमें कोई क्या कर सकता है। उनकी पत्नी 57 वर्षीय जानकी देवी भी उनके स्वभाव की कायल हैं और कहती हैं कि वह एक विनम्र और मीठा बोलने वाले इंसान हैं, जिन्हें लोगों से मिलना जुलना खूब पसंद है। वह बताती हैं कि शादी के बाद शुरुआत में उन्हें छह संताने लड़की हुई। ऐसे में उन पर दूसरी शादी का दबाव बनने लगा, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। बाद में जानकी देवी को दो लड़के त्रिपुरारी और कन्हैया हुए। फिलहाल त्रिपुरारी स्नातक करने के बाद उच्च शिक्षा की तैयारी कर रहा है, जबकि कन्हैया दिहाड़ी मजदूर के रुप में काम करता है। तीन लड़कियों की शादी में खर्च के की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति थोड़ी बिगड़ गई, लेकिन नवल फिर भी दूसरों के मदद के लिए हमेशा तैयार रहते है। उन्होंने अपने कई अन्य पारम्परिक ज्ञान को राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान-भारत से साझा किया है।
नवल किशोर के पास पशुओं और मानव दोनों के लिए कई हर्बल दवाएं मौजूद है। इसमें से जानवरों को होने वाले अल्पकालिक बुखार के लिए बनाई दवा प्रायर आर्ट सर्च में अद्वितिय मिली, जिसके लिए राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत ने उनके नाम से पेटेंट के लिए आवेदन किया है। इस हर्बल फॉमूलेशन के क्लिनिकल परीक्षण के दौरान यह नतीजा आया कि इसके इस्तेमाल से लीवर के प्रमुख एंजाइम प्रभावित नहीं होते हैं और लीवर स्वस्थ बना रहता है। इस दौरान प्रोटीन का मेटाबोलिज्म भी सामान्य रहता है। परीक्षण में यह भी पुष्टि हुई की इसके इस्तेमाल से जानवरों के पैरों में होने वाले दर्द भी होता है, जिससे उनकी चाल में भी सुधार हुआ। नवल किशोर के हर्बल फॉमूलेशन के आधार पर जानवरों को मुंह से खिलाने वाली एक हर्बल दवा Ephelixin - 3D तैयार की गई है। राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत जानवरों में होने वाले अल्पकालिक बुखार को रोकने वाले की इस हर्बल फॉमूलेशन की तकनीक को हस्तांतरण करने की कोशिश कर रहा है।
Patent Application No: 2243/CHE/2008
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