राष्ट्रीय
जैव विविधता बोर्ड
के अनुमान के
अनुसार भारत में
विश्व के 8 प्रतिशत
पौधों और जानवरों
की प्रजातियाँ दर्ज
की जा चुकी
हैं तथा भारत
में 45,000 पौधों और 91,000 जानवरों
की प्रजातियां पाई
जाती हैं। भारत
की समृद्ध विरासत
को संरक्षित करने
के लिये देश
भर में लोगों,
समुदायों और सरकारों
द्वारा उत्कृष्ट और अभिनव
भूमिकायें निभाई गई हैं।
इतना ही नहीं
अब उत्तराखंड के
जैव विविधता बोर्ड
के चेयरमैन राकेश
शाह द्वारा सुझाव
देने पर केन्द्र
सरकार अगले वर्ष
से जैव विविधता
के संरक्षण में
सहायता करने वालों
को विशेष पुरस्कार
से सम्मानित करेगी।
यह जैव विविधता
का तीसरा आवॉर्ड
होगा। जैव विविधता
का प्रथम आवॉर्ड
सन् 2012 में केन्द्रीय
पर्यावरण मंत्रालय और संयुक्त
राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा
घोषित किया गया
तथा दूसरा जैव
विविधता पुरस्कार मई 2014 में
घोषित किया गया।
भारत के तीसरे
जैव विविधता पुरस्कार
2016 के आवेदन पत्र की
घोषणा पर्यावरण, वन
व जलवायु परिवर्तन
के मंत्रालय और
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम
द्वारा की गई
है।
पुरस्कार का
प्रारूप उत्तराखंड के जैव
विविधता बोर्ड के चेयरमैन
राकेश शाह द्वारा
तय किया गया
तथा उन्होंने जैव
विविधता पुरस्कार 2016 को चार
श्रेणियों में विभाजित
किया है। पुरस्कार
के लिए नामांकन
की अंतिम तिथि
24 अक्टूबर 2015 तय की
गई तथा आवेदन
पत्र जमा करने
की अंतिम तिथि
29 नवंबर 2015 है। पुरस्कार
की प्रत्येक श्रेणी
के लिए 10 श्रेष्ठ
संरक्षणकर्ता का चयन
कमेटी द्वारा किया
जायेगा। फिर आगे
प्रत्येक श्रेणी में से
सर्वोत्तम 3 आवेदकों का चयन
अंको के आधार
पर किया जायेगा
और अंत में
तकनीकी कमेटी द्वारा फाइनल
पुरस्कार के लिए
प्रत्येक श्रेणी का विजेता
और रनर अप
चुना जाएगा। प्रत्येक
श्रेणी में प्रथम
आने वाले को
1 लाख रूपये और
रनर अप को
50,000 रूपये राशि का
इनाम दिया जायेगा।
जैव विविधता ऑवार्ड
2016 की चार श्रेणियाँ
जैव विविधता अधिनियम
2002, से बनाई गई
हैं :
1. संकटग्रस्त प्रजाति का
संरक्षण :
व्यक्तियों और संस्थाओं
द्वारा किये गये
संरक्षण प्रयास जैसे कम
जोखिम वाले जंगली
और पालतू प्रजातियों
के लिए प्रबंधन
का कार्य करना,
जिसके परिणामस्वरूप उनके
खतरे का स्तर
कम हुआ है
तथा उनकी संख्या
में बढ़ोत्तरी हुई
है। तो वे
प्रथम श्रेणी का
पुरस्कार पाने के
लिए योग्य है।
प्रथम श्रेणी के
अंतर्गत सरकारी व गैर-सरकारी व्यक्ति, संस्था
या संगठन द्वारा
पिछले पांच वर्षों
से संकटग्रस्त पौधों
और जानवरों की
प्रजातियों को संरक्षित
करने का काम
अगर किया जाता
है तथा प्रकृति
के संरक्षण के
लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ
के लाल पंक्ति
में आने वाली
प्रजातियां तथा जैविक
विविधता अधिनियम 2002 के अंतर्गत
सैक्शन 38 के तहत
आने वाली प्रजातियां
व इसमें पौधों
और जानवरों की
घरेलू प्रजातियां भी
शामिल होंगी जो
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण और
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण द्वारा
स्थानीय और क्षेत्रीय
स्तर पर संकटग्रस्त
प्रमाणित की गई
है।
जैविक संसाधनों के
सतत/धारणीय उपयोग
:
किसी
व्यक्ति, संगठन या संस्था
द्वारा किये गये
ऐसे प्रयास जिनका
परिणाम जैविक संसाधनों की
स्थिरता हो और
उनके सर्वोत्तम प्रथाओं
के लिए सतत
उपयोग, कमज़ोर वर्गों के
समुदायों के सश्क्तिकरण
को एकीकृत करने
में सहायक हो।
पुरस्कार की दूसरी
श्रेणी के लिए
भी कोई भी
सरकारी, गैर-सरकारी
संस्था, संगठन या व्यक्ति
यदि पिछले पांच
वर्षों से जैविक
संसाधनों का सतत
उपयोग कर रहा
है तो वह
आवार्ड के चयन
के लिए योग्य
है।
3. उपयोग और लाभ
बंटवारे के लिए
सफल तंत्र :
किसी
व्यक्ति, संगठन या संस्था
द्वारा किये गये
ऐसे प्रयास जिनसे
कोई तंत्र/मॉडल
विकसित हो जिनका
परिणाम मौद्रिक व गैर-मौद्रिक रूप से
जैव संसाधनों और
पारंपरिक ज्ञान से जुड़ी
प्रथाओं के उपयोग
से उत्पन्न होता
है और उससे
सभी को समान
लाभ प्रदान हो,
तो वह तीसरी
श्रेणी का पुरस्कार
पाने के लिए
योग्य है।
4. जैव
विविधता प्रबंधन समितियां :
ऐसे
प्रयास जो संरक्षण
और टिकाऊ उपयोग
के लिए सर्वोत्तम
प्रथाओं की स्थापना
करें जिनके द्वारा
जैविक संसाधन के
रूप में पारंपरिक
ज्ञान एकीकृत हो
सके, जागरूकता पैदा
हो सके और
लाभ का बंटवारा
भी सुनिश्चित हो
सके, ऐसे प्रयास
करने वालों को
चौथी श्रेणी में
रखा गया है।
पुरस्कार की चौथी
श्रेणी के लिए
केवल जैविक प्रबंधन
समितियां ही शामिल
है। जैव विविधता
अधिनियम 2002 और नियम
2004 के अंतर्गत समितियों द्वारा
जिम्मेदारियां निभाई जायें तो
वे चौथी श्रेणी
में शामिल किये
जा सकते हैं।
उत्तराखंड जैव विविधता
बोर्ड के चेयरमैन
राकेश जी कहना
है कि मानव
की भलाई जैव
विविधता पर निर्भर
करती है क्योंकि
भारत में संरक्षण
की एक लंबी
और गहरी जड़ें
लोकाचार है। अधिक
जानकारी के लिए
सम्पर्क करें Uttarakhand Biodiversity Board
108/Phase-II, Vasant Vihar, Dehra Dun, Uttarakhand, India-248001, Phone:
0135-2769886, website link - http://sbb.uk.gov.in/
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