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Thursday 23 March 2017

मध्यप्रदेश राज्य के सीहोर जिले के भोजपुरा गांव में रहने वाले बुजुर्ग कारीगर दिलीप सिंह मालवीय ने अपने अनूठे प्रयास से पूरे गांव की तस्वीर ही बदलकर रख दी। उन्होंने सरकार से बगैर मेहताना लिए गांव के सैंकड़ों घरों में शौचालय बनाए हैं। दरसअल, जिले के इछावर इलाके के भोजपुरा गांव में झुग्गी में रहने वाले दिलीप सिंह मालवीय पेशे से मकान कारीगर हैं। दूसरे के घरों का निर्माण करने वाले बुजुर्ग दिलीप सिंह ने खुद के घर में आज तक शौचालय नहीं बना पाये थे। दिलीप की पत्नी बिंदा जी ने इसका विरोध करना शुरू किया। पहले तो पत्नी की बात को दलीप ने गंभीरता से नहीं लिया लेकिन जब वह जिद पर अड़ गईं तो उन्हें भी झुकना ही पड़ा। दिलीप ने शौचालय बनाने के लिए कुछ पैसे इकठ्ठे किए और 7 दिन के भीतर शौचालय बना दिया। इस बात पर उनकी पत्नी बिंदा जी लंबे समय से उनका विरोध कर रही थी।

पत्नी की जिद के चलते कारीगर दिलीप ने अपने घर में शौचालय का निर्माण कराया तथा अन्य लोगों को भी जागरूक करना शुरू किया। साथ ही गांव के 100 घरों में तीन महीने के भीतर बिना मेहताना के शौचालय बना दिए। ग्रामीणों को शौच के लिए एक किलोमीटर दूर जंगल में जाना पड़ता था। खासकर महिलाओं को काफी मुशिकलें होती थी। कारीगर दिलीप सिंह की मानें तो गांव की महिलाओं और पुरुषों को सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में खुले में शौच के लिए जाना पड़ता था। जिससे चारों तरफ गंदगी का माहौल था। इसके बाद दिलीप ने ठाना कि वह अब पूरे गांव में खुले में शौच का विरोध करेंगे। इसके लिए उन्होंने सरपंच और ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति के साथ चर्चा की। 


गांव के सरपंच सुरेन्द्र सिंह जी ने भी दिलीप जी की बात को गंभीरता से लिया लेकिन शौचालय के लिए सरकार से राशि न मिलने के कारण वे संकोच कर रहे थे। इस बीच गांव वालों की एक बैठक बुलाई गई, जिसमें दलीप जी ने ही प्रस्ताव रखा कि यदि आप लोग निर्माण सामग्री का इंतजाम कर लें तो मैं बगैर मेहनताना लिए शौचालय का निर्माण कर सकता हूं। गांव के लोग राजी हो गए। दिलीप जी ने भी वादे के मुताबिक वैसा ही किया और बगैर मेहनताना लिए काम करने की हामी भर दी। तीन महीने पहले तक गांव के सरपंच सुरेन्द्र सिंह समेत पूरा गांव खुले में शौच जाने को मजबूर था, लेकिन अब यही गांव इस कलंक से मुक्ति पा चुका है।

ग्रामीणों और सरपंच की पहल पर कारीगर दिलीप सिंह मालवीय दिन-रात मेहनत करके बिना मेहताना लिए तीन महीनों के भीतर पूरे गांव में करीब 100 शौचालयों का निर्माण कर दिया। गांव को खुले में शौच से मुक्त बनाने के बाद कारीगर दिलीप सिंह जी प्रशंसा के पात्र बन गए हैं। वहीं, गांव की महिलाओं-पुरुषों समेत उनकी पत्नी भी अब उनसे काफी खुश है।

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