श्री कल्पेश गज्जर स्वास्तिक इंटरप्राइजेज के प्रबंध निदेशक हैं। हालांकि वह केवल एसएससी ही पास हैं, उन्होंने अपने दम पर प्रयोग और विकास से सीखा है। गुजरात सरकार से उन्हें साराभाई सम्मान मिला। ज्ञान ने उनकी प्रौद्योगिकी को सुधारने के लिए टीईपीपी कार्यक्रम के तहत अनुदान दिया। स्वास्तिक तेल निकालने वाली मशीन परंपरागत तेल निकालने वाली मशीन की तुलना में तीन गुना तेज, बिजली की केवल 2/3 खपत करने वाली तथा आकार में आधी है। यह 30 एचपी के बिजली मोटर से चलती है और प्रतिदिन 18 से 28 एमटी तिलहन निचोड़ती है। परंपरागत रूप से इस मशीन को चलाने के लिए छह मजदूर की जगह केवल तीन मजदूरों की ही जरूरत होती है। तेल मिल मालिकों को यह कॉम्पैक्ट आकार में उच्चतम क्षमता प्रदान करती है। मोटर कोल्हू के लिए प्लेनेटरी गेयर व्यवस्था से ऊर्जा स्थानांतरित करता है जो औसत गति और उच्च टोर्क देता है जिससे दक्षता बढ़ती है और 200 प्रतिशत तक पारेषण क्षति कम हो जाती है। यह तेल निकालने वाली मशीन इस तरह डिजाइन की गई है कि सभी प्रकार के बीजों के लिए उपयोग हो सके, यहां तक कि कपास के बीज जो कि निचोडऩे के लिए सबसे कठिन बीज के रूप में जाने जाते हैं। भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध किसी दूसरे तेल निकालने वाली मशीन की तुलना में इस मशीन की ऊर्जा क्षमता कम से कम तीन गुना ज्यादा है व केवल एक तिहाई जगह घेरती है। इस मशीन के लिए आवश्यक रखरखाव व्यय भी किसी दूसरे तेल निकालने वाली मशीन की तुलना में काफी कम है। इसमें तीन एकीकृत कोल्हू हैं जो 18 एमटी/दिन कपास के बीज के लिए और 28 एमटी/दिन मूंगफली और दूसरे अन्य बीज के लिए है। मशीन के मुख्य भाग का अभिन्न हिस्सा 30 एचपी का मोटर है जो मशीन को शक्ति देता है। मोटर तीन स्तरीय प्लेनेटरी गेयर व्यवस्था के द्वारा तीन कोल्हू से जुड़ा होता है। प्लेनेटरी गेयर सिस्टम होने से मशीन के द्वारा उत्पन्न पावर के उपयोग की क्षमता बढ़ती है। यह परंपरागत हूपर के माध्यम से फीड प्राप्त करता है। हूपर से मिले बीज चैंबर में भाप से पकते हैं। मशीन में बीज को भाप से पकाने के लिए तीन समानांतर चैंबर हैं। सभी चैंबर एक अलग-अलग कोल्हू की ओर जाता है। चैंबर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि बीज सभी कोणों से भाप से पकते हैं। दबाने वाली मशीन सभी भाप चैंबर का अनुसरण करती है और प्रत्येक चैंबर भाप चैंबर से एक दबाने वाली मशीन जुड़ी होती है। दबाने वाली मशीन बीजों को कोल्हू में धकेलती है ताकि कोई भी बीज वापस नहीं आए। दबाने वाली मशीन बीजों को कॉम्पैक्ट कर कोल्हू को अधिक आपूर्ति सुनिश्चित करती है। इसके बाद बीज स्क्रू प्रेस में निचोड़ा जाता है। स्क्रू प्रेस की डिजाइन इस तरह का है कि यह तेल को बाहर आने के लिए अधिकतम जगह देता है। मशीन की लंबाई 3055 मिमि व चौड़ाई 1045 मिमि है। मशीन के कार्यजीवन को बढ़ाने के लिए इसके निर्माण में मिश्र इस्पात का प्रयोग किया जाता है।
नवप्रवर्तक की तेल निकालने वाली मशीन स्क्रू प्रेस से जुड़े प्लेनेटरी गेयर व्यवस्था का प्रयोग कर किसी भी प्रकार के बीजों को निचोड़ सकती है। इसी क्षमता के पारंपरिक तेल निकालने की मशीन की तुलना में यह औसतन 40 प्रतिशत बिजली बचाती है। इसकी उत्पादन दक्षता उच्च होती है जो कॉम्पैक्ट डिजाइन में बने एक कुशल ऊर्जा संचरण तंत्र के द्वारा संभव हो पाता है। यह पारंपरिक मशीन की तुलना में एक तिहाई जगह घेरती है और इसका रखरखाव खर्च भी न्यूनतम है। इस खोज के द्वारा ऊर्जा संरक्षण से तेल मिलों में बिजली की जरूरतों में कमी होगी। उपयोगकर्ता की सिरे पर यदि एक किलोवाट प्रतिघंटे की बचत होती है तो उत्पादन क्षमता को 2-4 किलोवाट प्रति घंटे की राहत मिल सकती है। हम कल्पना कर सकते हैं कि इस प्रौद्योगिकी से 50 प्रतिशत की बचत बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करने की लागत को घटाया जा सकता है।
पारंपरिक तेल निकालने वाली मशीन पुली और बेल्ट वाली प्रौद्योगिकी से 30 एचपी के बिजली मोटर से प्रतिदिन 6 से 10 एमटी तिलहन निचोड़ती है। इन मशीनों के लिए 9.2 मि X 3.8 मि. के औसत जगह और दो मजदूरों की इसको संभालने के लिए जरूरत होती है। इसके अलावा पुली और बेल्ट प्रौद्योगिकी से होनेवाले संचरण क्षय से अंतत: परिचालन लागत बढ़ता है। बेल्ट की वजह से होनेवाले कंपन को अवशोषित करने के लिए मशीनों को एक ठोस नींव रखने की जरूरत होती है। बेल्ट और काउंटर शाफ्ट की वजह से अधिक कंपन होने के कारण टूट-फूट की आशंका उच्च रहती है। इसके अलावे इसमें टिकिया की मोटाई को समायोजित करने की कोई व्यवस्था नहीं है। टिकिया में तेल के प्रतिशत को 6-7 प्रतिशत के बीच रखना कठिन है।
उपरोक्त विवरण की गणना केवल सूखे और अच्छी गुणवत्ता वाले तिलहन के लिए ही है।
मशीन में प्रयुक्त मोटर की तुलना में थोड़ी अधिक शक्ति वाले डीजल इंजन से भी इसे चलाया जा सकता है।
तेल का उत्पादन गणना सभी बीज की अधिकतम पेराई के बाद की जाती है।
यह क्षमता एक बार की पेराई की है, कुछ बीज को दो बार की पेराई की जरूरत होती है।
- इसमें तीन एकीकृत कोल्हू होते हैं जिसकी कुल पेराई क्षमता कपास के बीज के लिए 18 एमटी प्रतिदिन और मूंगफली तथा अन्य बीजों के लिए 32 एमटी प्रतिदिन होती है।
- 50 एचपी का मोटर जो मशीन को ऊर्जा प्रदान करता वह मशीन के मुख्य भाग का अभिन्न हिस्सा होता है।
- प्लेनेटरी गेयर व्यवस्था के साथ यह मोटर तीन कोल्हुओं से जुड़ा होता है।
- मशीन में बीजों को भाप से पकाने के लिए तीन समानांतर चैंबर होते हैं।
- प्रेशिंग मशीन भाप वाले चैंबर से जुड़ा होता और एक प्रशिंग मशीन प्रत्येक चैंबर से जुड़ा होता है।
- अंतत: एक स्क्रू प्रेश होता जहां बीज को निचोड़ा जाता है।
- मिश्र इस्पात का प्रयोग मशीन के कार्यजीवन को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- इस मशीन की अतिरिक्त तकनीकी विशिष्टताएं और उत्पादन क्षमता निम्न प्रकार है।
- कम से कम 50 प्रतिशत बिजली और 70 प्रतिशत जगह बचाती है।
- कपास के बीज को 18 एमटी/24 घंटे की दर से प्रोसेस करती है।
- उत्तम पेराई उच्च गुणवत्ता की टिकिया को बिना उसके पोषक गुणों को नष्ट किए सुनिश्चित करती है।
- भारी बीयरिंग और गर्म शाफ्ट के इस्पात का विशेष मिश्रधातु सुचारू संचालन को सुनिश्चित करती है।
- टिकिया की मोटाई को मशीन की चालू अवस्था में भी समायोजित किया जा सकता है।
- मशीन के संचालन के लिए कम संख्या में मजदूर की आवश्यकता होती है।
- मशीन के परिचालन लागत को एक तिहाई तक कम कर देता है।
- बेहतर रखरखाव और हैडलिंग प्रदान करता है।
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