दिल्ली की संस्था 'एक गाँव' टेक्नोलॉजीज़ के फाउंडर विजय प्रताप सिंह आदित्य के अनुसार “ सभी मोबाइल आधारित सेवाओं में सबसे बड़ी खामी ये है कि वो सिंगल टूल में एक यूज़र को वो जानकारी नहीं दे पाती जो उसे चाहिए। इसमें कुछ ऐसा होना चाहिए जिससे एक यूज़र कुछ नया सीखकर खेती में कुछ बेहतर कर अपने क्षेत्र में महारत हासिल कर सके।
'एक गाँव' टेक्नोलॉजीज़ कृषकों की इस समस्या का निदान दो चरणों में करता है। पहला किसान एक गाँव को ज्वाइन करते हैं, जिसमें उन्हें मोबाइल फोन के द्वारा कृषि और उत्पादन क्षमता को पहले की अपेक्षा बेहतर बनाने की जानकारी दी जाती है। दूसरे संस्था ने एक गाँव डॉट कॉम की शुरुआत की है ये एक ऐसा प्लेट फॉर्म है जो सीधे किसान को ग्राहकों से जोड़ता है और उन्हें सेहतमंद, प्राकृतिक और आर्गेनिक खाना प्रदान कराता है।
सिर्फ़ 150 रुपए में पाएं अनुकूलित कृषि सलाहकार सेवाएँ
'एक गाँव' का डिलीवरी मॉडल “मुझे जब चाहिए” की तर्ज पर तैयार किया गया है। ये किसानों को असली मदद फ़सल बोने के दिनों में पहुँचाता है। इसका लक्ष्य खेती को सहज और जटिलताओं से परे बनाना है। यहाँ किसानों को 150 रुपए में एक बेहतरीन सेवा दी जाती है, जिसके अंतर्गत उन्हें ऐप द्वारा अनुकूल कृषि सलाहकार सेवाएँ प्रदान करी जाती हैं। इस सेवा में किसान को उसकी मिट्टी, जलवायु,फ़सल की बीमारियों, बाज़ार भाव आदि सभी चीज़ों के बारे में बताया जाता है। इस ऐप की ख़ास बात ये भी है कि यहाँ ये जानकारी भी मौजूद है कि उनकी फ़सल को लोकल अथॉरिटी द्वारा कितना पानी मुहैया कराया जायगा। ये सभी जानकारियाँ किसानों को एसएमएस के रूप में उनकी स्थानीय भाषा में दी जाती है । साथ ही इसमें कस्टमर हेल्पलाइन भी है, जिसमें जाकर वो अपनी समस्या का निवारण कर सकते हैं। इतना होने के बावजूद भी आज 'एक गाँव' में सुधर की गुंजाईश है और संस्था द्वारा यही प्रयास किये जा रहे हैं कि एक यूज़र को ऐप इस्तेमाल करते वक़्त कम से कम परेशानियों का सामना करना पड़े।
वर्तमान में 'एक गाँव' तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के 465 गावों में तकरीबन 20,000 किसानों के साथ काम कर रहा है। गत वर्ष खेती की समस्या को लेकर उन्होने एक सर्वे कराया था और उस सर्वे पर काम करते हुए आज जो परिणाम प्राप्त हुए हैं वो कमाल के हैं।
विजय कहते हैं कि हमने अपने सर्वे में 10,000 किसानों को शामिल किया जिसमें प्रति औसत उत्पादन वृद्धि प्रति एकड़ 24.91 क्विंटल दर्ज करी गयी जो पहले प्रति एकड़ 12.05 क्विंटल थी।
बाज़ार में क्या विपत्तियां है ?
उरद की दाल के बारे में बात करते हुए विजय कहते हैं कि आज मेट्रो में ये 100 रुपए से 125 रुपए प्रति किलो की दर से बेची जा रही है। कुछ सालों पहले इसकी कीमत 65 – 80 रुपए प्रति किलो थी। इसके मुकाबले चावल की कीमतें जस की तस है और पिछले तीन सालों में चावल की कीमतों में 1 रुपए का भी इज़ाफा नहीं हुआ है। साथ ही सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी इसमें कुछ विशेष परिवर्तन नहीं ला सका है। अतः इन हालातों में एक किसान का समृद्ध होना एक टेड़ी खीर है।
बासमती चावल का एक उदाहरण देते हुए वे बताते हैं कि “ 2 साल पहले 900 किसानों ने 5,000 मेट्रिक टन बासमती चावल इस उम्मीद के साथ बोया था था कि उन्हें बेहतर दाम मिलेंगे मगर जब वो बेचने चले तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। इन किसानों की सबसे बड़े ख़रीदार स्वयं भारत सरकार थी जिन्होंने इनसे 14 रुपए प्रति किलो की दर से ये चावल ख़रीदा। आपको बताते चलें कि आज यही चावल बाज़ार में 100 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है।
कैब एग्रीगेटर्स के रूप में तुलना करते हुए विजय कहते हैं कि “ उबेर, ओला या अन्य टैक्सी मॉडल ने आज एक अनोखा काम किया है। जो ड्राइवर कभी 15,000 रुपए कमा रहे थे आज उनकी आय चौगुनी है साथ ही ग्राहक भी संतुष्ट है जो उचित दामों में यात्रा कर रहा है। विजय कहते हैं कि कुछ ऐसा ही मॉडल कृषि के क्षेत्र में भी लागू करना चाहिए।
कैसे हुआ 'एक गाँव' का बाज़ार में प्रवेश
पिछले वर्ष विजय ने किसानों को उनका सामान मुनासिब दामों में बेचने के लिए एक गाँव ब्रांड के अंतर्गत एक ऑनलाइन प्लेट फॉर्म की शुरुआत करी। आपको बता दें कि सिर्फ साल भर में इसने 5,000 ग्राहकों का ध्यान अपनी तरफ़ आकर्षित किया जिन्होंने इस प्लेट फॉर्म को हाथों हाथ लिया। साथ ही आज इस प्लेटफॉर्म में 50 प्रतिशत वो लोग हैं जो दोबारा इनसे जुड़े। इस प्लेट फॉर्म में 50 से ज्यादा प्रोडक्ट बेचे जाते हैं। विजय के इस प्लेटफ़ॉर्म से जिसमें बाइल आधारित सलाहकार ससेवाएँ भी शामिल हैं, से किसानों को भारी मुनाफ़ा हुआ है और उनकी मासिक आय में 8,500 रुपए की बढ़त देखने को मिली है जो इनकी कुल आय का 67 प्रतिशत है।
अगले कुछ वर्षों में 'एक गाँव' रिटेल मार्किट में अपनी पैठ जमाने की दिशा में काम कर रहा है और ये उन साझीदारों से लगातार संपर्क में है जो थोक में माल लेते हैं। इसके अलावा आने वाले 5 सालों में एक गाँव अपने साथ 15 मिलियन किसानों को जोड़ना चाहता है जिससे ये 100 करोड़ का रेविन्यू पाने के लक्ष्य को प्राप्त कर लें।
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