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Thursday, 2 March 2017

भारत से दूर विदेशी मुल्कों में अपना भविष्य और हिंदुस्तान की छवि संवारते भारत के किसान ।

कल देर शाम हमारे कार्यालय पर अचानक एक छोटे कॉमन रेफेरेंस के जरिये श्रीमान राजबीर सिंह सपरिवार पधारे । वर्तमान में राजबीर जी जेयोर्जिया मुल्क में 1380 हेक्टयेर जमीन पर खेती करते हैं और इनसे बातचीत में पता चला कि जनाब ने 21 वर्षों तक केंद्रीय पुलिस बल में अपनी सेवाएं दी और सहायक कमाडेंट के पद पर रहते हुए खेती करने का मन बना कर नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया । सरकार की सक्रिय सेवा से बाहर आकर जब खेती का मन बनाया तो अपने रिश्तेदारों से चला कि बाहर दूसरे मुल्कों में जमीन काफी सस्ती मिल जाती है (यही कोई 30 से 35 हज़ार रूपए प्रति एकड़ ) , तो इन्होंने बाहर जा कर नयी भूमिका तलाशने का मन बनाया । इस विचार में इनका भरपूर साथ दिया इनकी पत्नी श्रीमती नवजोत कौर ने । अपनी जमा पूँजी को लेकर रूस से टूट कर बने एक मुल्क जेयोर्जिया में जा कर 1380 हेक्टेयर जमीन खरीद ली और उसपर खेती करने का कार्य शुरू किया राजबीर जी ने बताया कि एयरपोर्ट से बाहर निकलने के मात्र 2 घंटे के बाद इनकी कंपनी बन गयी और बैंक अकाउंट खुल गया जिसे वो तुरंत ऑपरेट करने लग गए । आगे बातचीत में इन्होंने बताया कि इनके कुछ रिश्तेदार पहले ये यहाँ पर कुछ व्यापारिक गतिविधियां कर रहे थे जिनके अनुभव और संपर्कों का इन्हें लाभ मिला । जॉर्जिया में खेती बाड़ी का सारा काम मशीनों के द्वारा किया जाता है और फसल बेचने के लिए कोई मंडी सिस्टम नहीं है । सभी किसान पहले से ही कंपनियों से अपनी डील पक्की कर लेते हैं और सभी पेमेंट्स बैंक टू बैंक हो जाती है । देश के अंदरूनी हालात नार्मल हैं , कोई बड़ा लड़ाई झगड़ा नहीं है । wifi की सुविधा फ्री है , सरकार ने बिना पासवर्ड के हॉट स्पॉट बना रखें हैं जहाँ हाई स्पीड इन्टरनेट मुफ्त में उपलब्ध रहता है , बैंको की ब्रांचे 24 घंटे खुलती हैं , कभी भी जा कर व्यक्ति बैंकिंग कर सकता है । वहां नवम्बर के महीने में गेहूं की बुआई करने के बाद बर्फ पड़ जाती है और फ़रवरी के बाद छोटे छोटे पौधे बाहर निकलते हैं जो जुलाई में जा कर पक जाते हैं । प्रति हेक्टयेर गेहूं की उपज हमारे यहाँ से बहुत अधिक है । सब काम एक नंबर में और बहुत तेजी से होते हैं । 90 % आबादी ईसाई धर्म को मानने वाली है । देश की जमीनी स्तिथि इस प्रकार है कि यूरोपीएन यूनियन में शामिल होने पर विचार चल रहा है और साथ में रूस भी दूर नहीं है । राजबीर सिंह जी के बच्चे नवराज और मनराज अभी चंडीगढ़ में ही रह कर पढाई कर रहे हैं और श्रीमती नवजोत कौर माता और पिता की भूमिका में परिवार का ख्याल रख रही हैं । काफी सारे मुद्दों पर बात चीत के दौरान राजबीर जी ने बताया कि उनका अपना पैतृक गाँव : रंभा , करनाल जिले में तरवाड़ी के नजदीक है । अगले कुछ वर्षों में राजबीर अपने परिवार को भी जॉर्जिया में सेटल करने हेतु विचार कर रहे हैं । एक पल के लिए हरियाणा में वर्तमान खेतीबाड़ी की स्तिथि को लेकर भी मैंने सवाल किया जवाब में केवल स्माइल मिली और कुछ नही । उनकी यह स्माइल वर्तमान में सभी राजनेताओं की गुमराह करने वाली बातों और कारनामों पर भारी है । रात दस बजे राजबीर भाई वापिस गए अभी हमारा और बैठने का मन था लेकिन समय नहीं बचा था , अगली सुबह इन्हें फिर निकलना था । खैर आगे मिलने जुलने का रास्ता अभी खुला है । दुनिया भर के कोनों कोनों में हिंदुस्तान के किसान फैलकर अपना भविष्य बनाने के साथ साथ अपने देश का भाईचारा और संस्कृति भी फैला रहे हैं , ये बहुत सुकून की बात है ।

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